गद्दार ---
दुश्मनों की ज़रुरत क्या है
देश में 70 बरसों में भर भर के पैदा हो गए हैं गद्दार
मेरी नज़र में " गुनाह-ए-अज़ीम " है ये
जैसे कोई अपनी माँ को देता हो गाली
इससे बेहतर तो वो हैं जिन्हे हम कहते है " चोर चकार "
जो शायद नहीं सह पाते बेचारे गरीबी की मार
लेकिन ये कांग्रेस के अज़ीम सिपहसालार
देश के टुकड़ों पे पल रहे ये बुढऊ,बेकार
दुश्मनो का "मैल"चाटते, और अपने " फालतू "नेताओं के तलवे
ये समझते हैं खुद को "देश"का ठेकेदार
घमंड जाने किस बात का, "फूटी कौड़ी " की भी
इनकी नहीं है "औकात "ये लुच्चे टुच्चे धरती माँ के भार,
बेशर्म ,बेहयाई की हद्द के पार
गालियों की खाते रहते ये बौछार
बार बार ,लगातार ,हर ज़ुबान से हर बार
लानत है इनके जीने पर,ज़िन्दगी पर,
दोस्तों ! कभी ना जिताना इन जैसे
नालायकों को,हमारे हक़ खाते रहे हैं ये बरसों
रिकॉर्ड तोड़ किये हैं इन्होने "भ्रष्टाचार" !!
दुश्मनों की ज़रुरत क्या है
देश में 70 बरसों में भर भर के पैदा हो गए हैं गद्दार
मेरी नज़र में " गुनाह-ए-अज़ीम " है ये
जैसे कोई अपनी माँ को देता हो गाली
इससे बेहतर तो वो हैं जिन्हे हम कहते है " चोर चकार "
जो शायद नहीं सह पाते बेचारे गरीबी की मार
लेकिन ये कांग्रेस के अज़ीम सिपहसालार
देश के टुकड़ों पे पल रहे ये बुढऊ,बेकार
दुश्मनो का "मैल"चाटते, और अपने " फालतू "नेताओं के तलवे
ये समझते हैं खुद को "देश"का ठेकेदार
घमंड जाने किस बात का, "फूटी कौड़ी " की भी
इनकी नहीं है "औकात "ये लुच्चे टुच्चे धरती माँ के भार,
बेशर्म ,बेहयाई की हद्द के पार
गालियों की खाते रहते ये बौछार
बार बार ,लगातार ,हर ज़ुबान से हर बार
लानत है इनके जीने पर,ज़िन्दगी पर,
दोस्तों ! कभी ना जिताना इन जैसे
नालायकों को,हमारे हक़ खाते रहे हैं ये बरसों
रिकॉर्ड तोड़ किये हैं इन्होने "भ्रष्टाचार" !!
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