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बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

Anmol Moti !! { 8 }

उपदेश--जो नसीहत नहीं सुनता उसे लानत मलामत सुनाने का शौक है --शेख सादी 
पेट भरे पर उपवास का उपदेश देना सरल है --इटालियन कहावत 
बिना मांगे किसी को उपदेश न दो --जर्मन कहावत 
जिसने कालचक्र से कोई उपदेश न लिया उसे चरवाहे के ऊँटों के साथ रहना चाहिए --सलाहुद्दीन सफारी 
जिसने स्वयं को समझ लिया वह दूसरों को समझाने नहीं जाएगा --धम्मपद हम उपदेश सुनते हैं मन भर,देते हैं टन  भर ,ग्रहण करते हैं कण भर--अल्ज़ार 
लोगों की समझ शक्ति के अनुरूप उपदेश दो 
उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन है --टैगोर 
उपहार --जो उपहार स्वीकार कर लेता है वह स्वयं को बेच डालता है --इटालियन कहावत 
जिन उपहारों की बड़ी आस लगी रहती है वे भेंट नहीं किये जाते अदा किये जाते हैं --फ्रेंकलीन 
शत्रु को उपहार देने योग्य सर्वोत्तम वास्तु है क्षमा,विरोधी को सहन शीलता ,बालक को उत्तम दृष्टांत ,पिता को आदर माता को अपना ऐसा आचरण जिससे वह तुम पर गर्व कर सके ,स्वयं को प्रतिष्ठा और सभी मनुष्यों को उपकार 
उपेक्षा --प्रेम सबकुछ सह लेता है लेकिन उपेक्षा नहीं सह सकता --अज्ञात 
रोग,सांप,आग और शत्रु को छोटा समझ कर कभी उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए --सुभाषित 
एकता --एकता चापलूसी से कायम नहीं की जा सकती --गाँधी 
यदि चिड़िया एकता कर ले तो शेर की खाल खींच सकती हैं --शेख सादी 
एकाग्रता ---जब तक आशा लगी हुई है तब तक एकाग्रता नहीं हो सकती --रामतीर्थ 
झूठ कपट चोरी व्यभिचार आदि दुराचारों की वृत्तियों के नष्ट हुए बिना चित्त का एकाग्र होना कठिन है और चित्त एकाग्र हुए बिना ध्यान और समाधि भी कठिन है --मनु 
मन की एकाग्रता मनुष्य की विजय शक्ति है यह मनुष्य जीवन की समस्त शक्तियों को समेट  कर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है 
एकांत --जो एकांत में खुश रहता है वो पशु है या देवता --अज्ञात 
एकांत मूर्ख के लिए कैदखाना है और ज्ञानी के लिए स्वर्ग--- थोरो 
घास पृथ्वी पर अपने सहचरों की खोज करती है वृक्ष आकाश में एकांत का अनुसंधान करते हैं --टैगोर 
एकांतवास शोक ज्वाला के लिए समीर के सामान है --प्रेमचंद 
ऐश्वर्य -- कदम पीछे न हटानेवाला ही ऐश्वर्य को जीतता है --ऋग्वेद 
स्वयं को हीन माननेवाले को उत्तम प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त नहीं होते --महाभारत 
धन न भी हो तो आरोग्य विद्वता सज्जन मैत्री तथा स्वाधीनता मनुष्य के महान ऐश्वर्य हैं --अज्ञात 
ऐश्वर्य उपाधि में नहीं बल्कि चेतना में है हम उसके योग्य हैं --अरस्तु 

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