मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

Anmol Moti !! { 9 }

कंजूसी --हे कंजूसी मैं तुझे जानता हूँ तू विनाश करने वाली और व्यथा देने वाली है --अथर्ववेद 
संसार में सबसे दयनीय कौन है जो धनवान होकर भी कंजूस है --विद्यापति 
अगर खुदा कंजूस आदमी की ख्वाहिश पूरी करने में लग जाए और अगर किस्मत उसकी गुलाम हो जाए उसके हाथ कारूँ का खजाना आ जाये और साड़ी दुनिया उसके कब्जे में आ जाये तो भी कंजूस आदमी इस काबिल नहीं कि तू उसका नाम ले --शेख सादी 
हमारे कफ़न में जेबें नहीं लगाई जाती --इटालियन कहावत 
कर्तव्य --मनुष्य की सेवा मनुष्य का सर्व प्रथम कर्तव्य है --विनोबा 
तेरी बुद्धि को और हृदय को सचमालूम हो वही तेरा कर्तव्य है --गाँधी 
समय थोड़ा है और तुम्हारे कर्तव्य असंख्य क्या तुमने घर व्यवस्थित और बच्चे सुरक्षित कर लिए ?दुखियों को राहत दी गरीबों की मदद की ?धर्म के काम कर डाले ?--अज्ञात 
उस कर्तव्य का पालन करो जो तुम्हारे निकटतम है --गेटे 
दासता को कर्तव्य मान लें कितना आसान है --विवेकानंद 
कुछ न कुछ करने को ही नहीं कभी कभी कुछ ना करना भी कर्तव्य होता है --टैगोर 
कर्तव्य भावना से ऊंचा है --अज्ञात 
कर्म ---मेरे दाएं हाथ में कर्म है और बाएं हाथ में जय --अथर्ववेद 
फल की इच्छा छोड़ कर निरंतर कर्तव्य कर्म करो जो फल की अभिलाषा को छोड़ कर जो कर्म करते हैं उन्हें मोक्ष पद प्राप्त होता है --गीता 
कर्मों की ध्वनि शब्दों से अधिक है --कहावत 
कर्म वह आईना  है जो हमारा स्वरुप हमें दिखाता  है --विनोबा 
मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है --नपोलियन 
हमारी आनंद पूर्ण बदकारियाँ ही हमारी उत्पीड़क चाबुक बन जाती है --शेक्सपियर 
अपनी करनी कभी निष्फल नहीं जाती सात समुद्र आड़े आये तो भी आगे आकर मिलती है ---कबीर 
समस्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है एवं आनंद का लक्ष्य कर्म की ओर है --टैगोर 
कला --जो कला आत्मा को आत्मदर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला नहीं है --गाँधी 
कला ईश्वर की परपौत्री है --दाँते 
प्रकृति ईश्वर का प्रकट रूप है कला मनुष्य का --लांगफेलो 
कला का अंतिम और सर्वोच्च ध्येय सौंदर्य है --गेटे 
मानव को बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता तभी वह कला के रूप में फुट पड़ता है --रस्किन 
कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अतएव वह उसका दास भी है और स्वामी भी 
हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती  है 
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर{पारखी} पैदा  


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller ( 202) Apradh !!

After SI P. L. Sharma’s departure Ramanna went to the lock up to take statements of Babu Singh the owner of the Rambharose Hindu hotel. He s...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!