धर्म --शांति के सामान कोई तप नहीं संतोष से बढ़ कर कोई सुख नहीं है तृष्णा से बढ़ कर कोई व्याधि नहीं है दया के सामान कोई धर्म नहीं है --चाणक्य नीति
हर अवसर और हर अवस्था में जो अपना कर्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना चाहिए अन्य किसी धर्म की ओर नहीं जाना चाहिए --गीता
धर्म होने पर जब मनुष्य इतने नीच हैं तो धर्म न होने पर क्या होगा --फ्रैंकलीन
धर्म एक भ्रमात्मक सूर्य है जो मनुष्य के इर्द गिर्द घूमता है जब तक की मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं घूमती --कार्लमार्क्स
दो धर्मों का कभी भी झगड़ा नहीं होता सब धर्मों का अधर्म से झगड़ा होता है --विनोबा
धर्म केवल लोगों की सेवा में है तस्बीह {माला } या मुसल्ला { बिछाने की चटाई }में नहीं --शेख सादी
पर हित सैम धरम नहीं भाई ,पर पीड़ा सम नहीं अधमाई --तुलसी
धर्म परमेश्वर की कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है --नरेंद्र देव
धीरज --शोक में आर्थिक संकट में या प्राणांतकारी भय उपस्थित होने पर जो अपनी बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए धीरज धारण करता है उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता --वाल्मीकि
शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाय पर हथौड़ा तो ठंडा रह कर ही काम कर सकता है --सरदार पटेल
जितनी जल्दी करोगे उतनी देर लगेगी --चर्चिल
सब्र ज़िन्दगी के मकसद का दरवाजा खोलता है क्योंकि बिना सब्र के उस दरवाजे की कोई कुंजी नहीं है --शेख सादी
धोखा --अगर कोई व्यक्ति मुझे एक बार धोखा देता है तो धिक्कार है ,अगर वो दो बार धोखा देता है तो मुझ पर लानत है --कहावत
धूर्त को धोखा देना धूर्तता नहीं है --कबीर
स्पष्टभाषी धोखेबाज नहीं होता --चाणक्य
मधुर बानी धोखेबाजी की निशानी --कहावत
मुझे जितनी जहन्नुम के फाटकों से घृणा है उतनी उस व्यक्ति से जो दिल में एक बात छिपा कर दूसरी बात कहता है --होमर
सब धोखों में प्रथम और खराब अपने आप को धोखा देना है --बेली
हर अवसर और हर अवस्था में जो अपना कर्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना चाहिए अन्य किसी धर्म की ओर नहीं जाना चाहिए --गीता
धर्म होने पर जब मनुष्य इतने नीच हैं तो धर्म न होने पर क्या होगा --फ्रैंकलीन
धर्म एक भ्रमात्मक सूर्य है जो मनुष्य के इर्द गिर्द घूमता है जब तक की मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं घूमती --कार्लमार्क्स
दो धर्मों का कभी भी झगड़ा नहीं होता सब धर्मों का अधर्म से झगड़ा होता है --विनोबा
धर्म केवल लोगों की सेवा में है तस्बीह {माला } या मुसल्ला { बिछाने की चटाई }में नहीं --शेख सादी
पर हित सैम धरम नहीं भाई ,पर पीड़ा सम नहीं अधमाई --तुलसी
धर्म परमेश्वर की कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है --नरेंद्र देव
धीरज --शोक में आर्थिक संकट में या प्राणांतकारी भय उपस्थित होने पर जो अपनी बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए धीरज धारण करता है उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता --वाल्मीकि
शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाय पर हथौड़ा तो ठंडा रह कर ही काम कर सकता है --सरदार पटेल
जितनी जल्दी करोगे उतनी देर लगेगी --चर्चिल
सब्र ज़िन्दगी के मकसद का दरवाजा खोलता है क्योंकि बिना सब्र के उस दरवाजे की कोई कुंजी नहीं है --शेख सादी
धोखा --अगर कोई व्यक्ति मुझे एक बार धोखा देता है तो धिक्कार है ,अगर वो दो बार धोखा देता है तो मुझ पर लानत है --कहावत
धूर्त को धोखा देना धूर्तता नहीं है --कबीर
स्पष्टभाषी धोखेबाज नहीं होता --चाणक्य
मधुर बानी धोखेबाजी की निशानी --कहावत
मुझे जितनी जहन्नुम के फाटकों से घृणा है उतनी उस व्यक्ति से जो दिल में एक बात छिपा कर दूसरी बात कहता है --होमर
सब धोखों में प्रथम और खराब अपने आप को धोखा देना है --बेली
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