नरक --अवसर का हाथ से निकल जाना और समय बीतने के बाद यथार्थता का ज्ञान होना नरक है --अज्ञात
संसार में छल प्रवंचना को देख कर कभी कभी मान लेना पड़ता है कि यह संसार नरक है --जयशंकर प्रसाद
नरक क्या है परवशता --शंकराचार्य
अति क्रोध कटु वाणी दरिद्रता स्वजनों से बैर नीचों का संग और अकुलीन की सेवा ये नरक में रहने वालों के लक्षण हैं --चाणक्य नीति
नशा --जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है --तिरुवल्लुवर
नशे की हालत तात्कालिक आत्महत्या है जो सुख वह देती है केवल नकारात्मकता दुःख की क्षणिक विस्मृति --बर्ट्रेंड रसल
नशे में क्रोध की भांति ग्लानि का वेग भी सहज ही में उठ आता है --प्रेमचंद
संसार की सारी सेनाएं मिलकर इतने मानवों और इतनी संपत्ति को नष्ट नहीं करती जितनी शराब पीने की आदत --मिल्टन
जब शराब मनुष्य में प्रवेश करती है तो बुद्धि को बाहर निकाल देती है --अज्ञात
शराब का उपयोग तो स्वयं को भुलाने के लिए है स्मरण करने के लिए नहीं और जीवन का सृजनात्मक विकास अपनेपन की चेतना में संभव है --महादेवी वर्मा
नशा करनेवाले मित्र चाहे कोई कितना भी प्रेम क्यों न करता हो जब किसी पर निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोसा उसी पर करता है जिसने नशा न किया हो --शरतचंद
नाम--नाम में क्या रखा है जिसे हम गुलाब कहते हैं वह किसी दूसरे नाम से भी वैसी ही सुगंध देगा --शेक्सपियर
अपना नाम सदा कायम रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने धन खर्च करने हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी तैयार हो जाता है --सुकरात
अपने नाम को कमल की तरह निष्कलंक बना --लांगफेलो
संसार में छल प्रवंचना को देख कर कभी कभी मान लेना पड़ता है कि यह संसार नरक है --जयशंकर प्रसाद
नरक क्या है परवशता --शंकराचार्य
अति क्रोध कटु वाणी दरिद्रता स्वजनों से बैर नीचों का संग और अकुलीन की सेवा ये नरक में रहने वालों के लक्षण हैं --चाणक्य नीति
नशा --जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है --तिरुवल्लुवर
नशे की हालत तात्कालिक आत्महत्या है जो सुख वह देती है केवल नकारात्मकता दुःख की क्षणिक विस्मृति --बर्ट्रेंड रसल
नशे में क्रोध की भांति ग्लानि का वेग भी सहज ही में उठ आता है --प्रेमचंद
संसार की सारी सेनाएं मिलकर इतने मानवों और इतनी संपत्ति को नष्ट नहीं करती जितनी शराब पीने की आदत --मिल्टन
जब शराब मनुष्य में प्रवेश करती है तो बुद्धि को बाहर निकाल देती है --अज्ञात
शराब का उपयोग तो स्वयं को भुलाने के लिए है स्मरण करने के लिए नहीं और जीवन का सृजनात्मक विकास अपनेपन की चेतना में संभव है --महादेवी वर्मा
नशा करनेवाले मित्र चाहे कोई कितना भी प्रेम क्यों न करता हो जब किसी पर निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोसा उसी पर करता है जिसने नशा न किया हो --शरतचंद
नाम--नाम में क्या रखा है जिसे हम गुलाब कहते हैं वह किसी दूसरे नाम से भी वैसी ही सुगंध देगा --शेक्सपियर
अपना नाम सदा कायम रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने धन खर्च करने हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी तैयार हो जाता है --सुकरात
अपने नाम को कमल की तरह निष्कलंक बना --लांगफेलो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें