पराधीनता --पराधीन को ज़िंदा कहें तो फिर मुर्दा कौन है ?
एक रोटी से इत्मीनान कर ले ताकि तुझे गुलाम बन कर न झुकना पड़े --शेख सादी
कोई आदमी हड्डी की खातिर कुत्ता नहीं बन सकता --डेनिश कहावत
नौकर रखना बुरा है लेकिन मालिक रखना और भी बुरा है --पुर्तगाली कहावत
पराधीनता समाज के सभी मौलिक नियमो के विरुद्ध है --मॉन्टेस्क्यू
गुलामी में रहना इंसान की शान के खिलाफ है। जिस गुलाम को अपनी दशा का का भान है फिर भी ज़ंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह गुलाम ही बना रहता है--गाँधी
जिन्हे हम नीच बनाये रहते हैं वे हमें हेय बनाये रखते हैं --टैगोर
परिवर्तन ---हर चीज बदलती है नष्ट नहीं होती --अरविन्द घोष
परिवर्तन ही सृष्टि है जीवन है स्थिर होना मृत्यु है निश्चेष्ट मरण है --जयशंकर प्रसाद
स्वयं को बदल लो भाग्य बदल जायेगा --कहावत
परिश्रम --परिश्रम करने से कार्य सिद्ध होते है केवल इच्छा से नहीं --हितोपदेश
कुएं में चाहे कितना ही पानी हो चाहने से नहीं निकल आएगा --कन्नड़ कहावत
मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र उसकी दस उंगलियां हैं --रोबर्ट कोलियर
मानव सुख जीवन में है और जीवन परिश्रम में --अज्ञात
अपने अमूल्य समय का एक एक क्षण परिश्रम में व्यतीत करना चाहिए इसीमे आनंद है। ऐसा करने से कोई क्षण भी ऐसा नहीं बचता जब हमें सोच या पछतावा हो --एमर्सन
जो की शारीरिक परिश्रम नहीं करता उसे खाने का हक़ कैसे हो सकता है --गाँधी
मरते डैम तक तू अपने पसीने की रोटी खाना --बाइबिल
परिस्थितियां --यदि तुम किसी गोल छिद्र में जा पदों तो तुम्हे स्वयं को गेंद बना लेना चाइये --इलियट
परिस्थितियों से घिरने वाला मनुष्य उनका त्याग करके ही बच सकता है --प्रेमचंद
गंभीर परिस्थिति ही आदमी का विद्यालय है --गाँधी
मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता यह है की वह जितना संभव हो परिस्थितियों पर शासन करे और शासित होने से बचे --गेटे
इंसान परिस्थितियों का कीड़ा है जबकि परिस्थितियां ही इंसान को कीड़ा मालूम होती हैं --बायरन
एक रोटी से इत्मीनान कर ले ताकि तुझे गुलाम बन कर न झुकना पड़े --शेख सादी
कोई आदमी हड्डी की खातिर कुत्ता नहीं बन सकता --डेनिश कहावत
नौकर रखना बुरा है लेकिन मालिक रखना और भी बुरा है --पुर्तगाली कहावत
पराधीनता समाज के सभी मौलिक नियमो के विरुद्ध है --मॉन्टेस्क्यू
गुलामी में रहना इंसान की शान के खिलाफ है। जिस गुलाम को अपनी दशा का का भान है फिर भी ज़ंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह गुलाम ही बना रहता है--गाँधी
जिन्हे हम नीच बनाये रहते हैं वे हमें हेय बनाये रखते हैं --टैगोर
परिवर्तन ---हर चीज बदलती है नष्ट नहीं होती --अरविन्द घोष
परिवर्तन ही सृष्टि है जीवन है स्थिर होना मृत्यु है निश्चेष्ट मरण है --जयशंकर प्रसाद
स्वयं को बदल लो भाग्य बदल जायेगा --कहावत
परिश्रम --परिश्रम करने से कार्य सिद्ध होते है केवल इच्छा से नहीं --हितोपदेश
कुएं में चाहे कितना ही पानी हो चाहने से नहीं निकल आएगा --कन्नड़ कहावत
मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र उसकी दस उंगलियां हैं --रोबर्ट कोलियर
मानव सुख जीवन में है और जीवन परिश्रम में --अज्ञात
अपने अमूल्य समय का एक एक क्षण परिश्रम में व्यतीत करना चाहिए इसीमे आनंद है। ऐसा करने से कोई क्षण भी ऐसा नहीं बचता जब हमें सोच या पछतावा हो --एमर्सन
जो की शारीरिक परिश्रम नहीं करता उसे खाने का हक़ कैसे हो सकता है --गाँधी
मरते डैम तक तू अपने पसीने की रोटी खाना --बाइबिल
परिस्थितियां --यदि तुम किसी गोल छिद्र में जा पदों तो तुम्हे स्वयं को गेंद बना लेना चाइये --इलियट
परिस्थितियों से घिरने वाला मनुष्य उनका त्याग करके ही बच सकता है --प्रेमचंद
गंभीर परिस्थिति ही आदमी का विद्यालय है --गाँधी
मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता यह है की वह जितना संभव हो परिस्थितियों पर शासन करे और शासित होने से बचे --गेटे
इंसान परिस्थितियों का कीड़ा है जबकि परिस्थितियां ही इंसान को कीड़ा मालूम होती हैं --बायरन
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