मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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बुधवार, 14 मार्च 2018

Anmol Moti !! {27}

परोपकार---यदि मनुष्य परोपकारी नहीं है तो उसमे और दीवार पर खींचे चित्र में क्या फर्क है --शेख सादी 
तरुवर फल नहीं खात है ,सर्वर पियहिं न पानी 
कह रहीम परकाज हित ,सम्पति सँचहि सुजानि !--रहीम 
मैंने अमर जीवन को और प्रेम को वास्तविक पाया यदि मनुष्य प्रसन्न रहना चाहता है तो निरंतर परोपकार के लिए ही जीवित रहना चाहिए --टैगोर 
जिसका दुःख हो वही दूर करे,फिर पैर  हाथ क्यों दूर करता है  --बोधिचर्यावतार 
परोपकार पुण्य है दूसरों को दुःख देना पाप --अज्ञात 
पवित्रता --शरीर जल से पवित्र होता है मन सत्य से बुद्धि ज्ञान से आत्मा धर्म से पवित्र होती है --मनु 
पवित्र वो नहीं हैं जो शरीर धोकर बैठ जाते हैं पवित्र वह जिसके अन्तःकरण में प्रभु रहता है --नानक 
सब पवित्रताओं में धन की पवित्रता सर्वोत्तम होती है क्योंकि पवित्र वो है जो ईमानदारी से कमाता है --अज्ञात 
पवित्रता दुनिया की ख्वाहिशों पर लात मारने से हांसिल होती है --
पवित्रता वह धन है जो प्रेम के बाहुल्य से प्राप्त होता है --टैगोर 
पाप--पापी से घृणा करो पाप से नहीं --महावीर 
इत्मीनान रख तेरा पाप तुझे ढूँढ निकालेगा --मोजेज 
फूल झड़ जाते हैं कांटे लगे रहते हैं--डच कहावत 
संसार के प्रत्येक पाप के लिए प्रत्येक प्राणी जिम्मेदार है --विवेकानंद 
मरते समय तक क्या चुभता है --गुप्त पाप --शकराचार्य 
पाप के साथ ही दंड के बीज बो दिए जाते हैं --हेसिमोड 
कोई व्यक्ति पाप करके धन लाता है उसका उपभोग घर के सब लोग करते हैं किन्तु पाप का फल वह अकेले भोगता है --महाभारत 
पाप पहले अच्छा लगता है फिर बार बार किया जाता है फिर स्वभाव बन जाता है फिर वह तबाह हो जाता है --लीटन 
संसार में दुर्बल और दरिद्र होना पाप है --प्रेमचंद 
जिस तरह आग आग को समाप्त नहीं कर सकती उसी तरह पा पाप का शमन नहीं कर सकता --टॉलस्टॉय 
छिप कर पाप करना कायरता व खुल कर करना निर्लज्जता है --अज्ञात 
जो दिल में खटके वो पाप है 
पाप इसलिए दुखद नहीं है वह मना है बल्कि इसलिए मना है की वो दुखद है --फ्रेंकलीन इस मस्जिद में से सबसे बड़े पापी को बाहर निकालने के लिए कहा जाए तो मैं ही सबसे पहले निकलूंगा --मालिक दीनार 
प्राणघात चोरी व्यभिचार ये तीन शारीरिक पाप हैं झूठ निंदा और कटुवचन व्यर्थ भाषण ये वाणी के पाप हैं पर धन की इच्छा दुसरे की बुराई असत्य हिंसा ये मानसिक पाप हैं --बुद्ध 
पाप न होता तो पुण्य न होता दोनों घुले मिले हैं ताकि सब ठीक चलता रहे --युरिपिडीज़ 
एक पाप दो बार कर लो फिर अपराध नहीं मालूम होगा --टालमड हम सब पापी हैं हममें से कोई जिस बात के लिए दुसरे को दोषी ठहरता है वह उसे अपने दिल में ही पायेगा --सेनेका 

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