कहाँ थे हम कहाँ आ गए हैं
जाने किस ओर चले जा रहे हैं
क्या थे हम क्या हो गए हैं
,जाने क्या बने जा रहे हैं
बदल गईं इबारतें सारी
ढह गईं इमारतें सारी
अच्छा बुरा सही गलत
सब घुलमिल कर एक हो गया
इंसान अब नहीं लगता है इंसान सा,
मर गई इंसानियत सारी ,
सयानेपन की न पूछ ए दोस्त
यहाँ हर एक दूजे से सयाना ज्यादा
शरीफों की चारों ओर दिखती है भीड़
लेकिन काफूर हो गईं शराफ़तें सारी !!
शराफत: सज्जनता,काफूर : गायब होना ,इबारत : लिखी हुई तहरीर
जाने किस ओर चले जा रहे हैं
क्या थे हम क्या हो गए हैं
,जाने क्या बने जा रहे हैं
बदल गईं इबारतें सारी
ढह गईं इमारतें सारी
अच्छा बुरा सही गलत
सब घुलमिल कर एक हो गया
इंसान अब नहीं लगता है इंसान सा,
मर गई इंसानियत सारी ,
सयानेपन की न पूछ ए दोस्त
यहाँ हर एक दूजे से सयाना ज्यादा
शरीफों की चारों ओर दिखती है भीड़
लेकिन काफूर हो गईं शराफ़तें सारी !!
शराफत: सज्जनता,काफूर : गायब होना ,इबारत : लिखी हुई तहरीर
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