मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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सोमवार, 28 मई 2018

Wajood Se : Silsila !!{149} Silsila !!

जब लगने लगता है मंज़िल सामने है,एक कदम की दूरी है,
किनारे पहुँचने वाली हूँ,
बस ज़मीन छूने वाली हूँ ,
तभी न जाने कहाँ से,
आ जाता है एक बवंडर या 
फिर एक तेज लहरों का बहाव 
गुम हो जाती है मंज़िल या 
मैं गम हो जाती हूँ 
दूर चली जाती है मंज़िल या ,
मई कहीं दूर फेंक दी जाती हूँ,
फिर चलने लगती हूँ उस ओर 
दिल में उम्मीद और जोश लिये 
शायद इस बार पहुँच जाऊं 
शायद ना आए कोई तूफ़ान 
शायद टूट जाए अब 
ये सिलसिला !!

सिलसिला :क्रम,उम्मीद:आशा,बवंडर : धुल भरी आंधी 

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