बेसब्री !!
बेसब्र हो रहे हैं सारे
छटपटाहट तेज हो गई है
भूख से अंतड़ियाँ सूखी जा रही हैं
ज़ुबान और लब खुश्क हो रहे हैं
ऊपर से नीचे तक ,नेता अफसर ,उनके चाटुकार
कारकून से चपरासी तक
जिन्होंने 67 बरसों तक खूब खाया देश को ,
चारा खाया ,रेत खाई ,कोयला खाया
और ना जाने किस किस तरह के घोटाले कर के खाया
खाया सबने ही मिल बाँट कर
मैं भी खाऊँ,तुम भी खाओ ,आओ सब मिल देश को खाएं
चाहे कुर्सी पर मैं हूँ चाहे कुर्सी पर तुम हो
वादा करें कि सदा ही एक दूजे का ख़याल रक्खेंगे
चार बरस पहले जाने क्या हुआ ,
सोशल नेटवर्किंग की ऐसी हवा चली
फेस बुक व्हाट्स एप और ना जाने क्या क्या
जनता जो डुगडुगी बजाते ही नाचती थी हमारे इशारों पर
क्रांतिकारी हो गई,यकायक ,
उन्हें भाया मोदीजी का वो अंदाज़ ,
जो कहता था ,"मैं देश का प्रधान मंत्री नहीं ,प्रधान सेवक हूँ "
और चार वर्षों में उन्होंने इस बात का ठोक कर निर्वाह किया
"न खाऊंगा न खाने दूंगा "हर भारतीय इस बात का गवाह है
किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं जो कह दे कि
मोदी जी ने यहां भ्रष्टाचार किया ,
यह घोटाला किया ,घर के सदस्यों को फलां फलां फायदा पहुँचाया
तो अब ? कैसे उन्हें हराया जाय ,
टुच्चे लोग अपनी टुच्ची चालों पे उतर आये
दलित आंदोलन { किराये के लोग }
किसान आंदोलन ,बेचारे असली किसानो की दुकाने
सब्ज़ियां गुंडों से लुटवा कर सडकों पर बिखरा दीं
नकली दूध के पैकेट्स ,जिन्हे कुत्तों ने भी नहीं चाटा
सडकों पर बिखरा दीं
क्या ऐसे ही लोगों को हम फिर से सत्ता देना चाहेंगे ?
क्या हम अपने देश को फिर से "रिवर्स गीयर" में डालना चाहेंगे ?
क्या ये सारे चोर मिल कर भी एक ईमानदार मोदी का सामना कर सकते हैं ?
और सबसे ऊपर क्या हम सभी इतने बड़े "बेवकूफ "हैं ?
जो इन जैसों को सत्ता सौंपेंगे ,
याद रखिये ! हमारे प्रजातंत्र में मालिक हम ही हैं इस देश के,
क्या चोरों के हाथ में फिर से देश की चाभी सौंप देंगे ???????
छटपटाहट तेज हो गई है
भूख से अंतड़ियाँ सूखी जा रही हैं
ज़ुबान और लब खुश्क हो रहे हैं
ऊपर से नीचे तक ,नेता अफसर ,उनके चाटुकार
कारकून से चपरासी तक
जिन्होंने 67 बरसों तक खूब खाया देश को ,
चारा खाया ,रेत खाई ,कोयला खाया
और ना जाने किस किस तरह के घोटाले कर के खाया
खाया सबने ही मिल बाँट कर
मैं भी खाऊँ,तुम भी खाओ ,आओ सब मिल देश को खाएं
चाहे कुर्सी पर मैं हूँ चाहे कुर्सी पर तुम हो
वादा करें कि सदा ही एक दूजे का ख़याल रक्खेंगे
चार बरस पहले जाने क्या हुआ ,
सोशल नेटवर्किंग की ऐसी हवा चली
फेस बुक व्हाट्स एप और ना जाने क्या क्या
जनता जो डुगडुगी बजाते ही नाचती थी हमारे इशारों पर
क्रांतिकारी हो गई,यकायक ,
उन्हें भाया मोदीजी का वो अंदाज़ ,
जो कहता था ,"मैं देश का प्रधान मंत्री नहीं ,प्रधान सेवक हूँ "
और चार वर्षों में उन्होंने इस बात का ठोक कर निर्वाह किया
"न खाऊंगा न खाने दूंगा "हर भारतीय इस बात का गवाह है
किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं जो कह दे कि
मोदी जी ने यहां भ्रष्टाचार किया ,
यह घोटाला किया ,घर के सदस्यों को फलां फलां फायदा पहुँचाया
तो अब ? कैसे उन्हें हराया जाय ,
टुच्चे लोग अपनी टुच्ची चालों पे उतर आये
दलित आंदोलन { किराये के लोग }
किसान आंदोलन ,बेचारे असली किसानो की दुकाने
सब्ज़ियां गुंडों से लुटवा कर सडकों पर बिखरा दीं
नकली दूध के पैकेट्स ,जिन्हे कुत्तों ने भी नहीं चाटा
सडकों पर बिखरा दीं
क्या ऐसे ही लोगों को हम फिर से सत्ता देना चाहेंगे ?
क्या हम अपने देश को फिर से "रिवर्स गीयर" में डालना चाहेंगे ?
क्या ये सारे चोर मिल कर भी एक ईमानदार मोदी का सामना कर सकते हैं ?
और सबसे ऊपर क्या हम सभी इतने बड़े "बेवकूफ "हैं ?
जो इन जैसों को सत्ता सौंपेंगे ,
याद रखिये ! हमारे प्रजातंत्र में मालिक हम ही हैं इस देश के,
क्या चोरों के हाथ में फिर से देश की चाभी सौंप देंगे ???????
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