भारत की जनता हताश थी ,और अंतर्मन से गहन निराश
वयस्कों ने तो छोड़ ही दी थी ,देश के सुधार की आस
चला गया था गर्त में भारत,जकड़ा भ्रष्टाचार के पाश
प्रधानमंत्री भी बना हुआ था ,नेहरू गांधी परिवार का दास
कांग्रेस ने कर डाला था देश का पूरा सत्यानाश,
मोदी के शब्दों से जागा,जन जन में नया विश्वास
पूर्ण बहुमत बना तभी था ,लोगों का यह आत्मविश्वास
बीजेपी का यह वोट नहीं था ,संघ ना जाने आम और ख़ास
ना रहते हों भ्रष्टाचारी, कहिलों का हो ना निवास
सुनी जाए ना केवल उसकी ,जो नेता के खासमखास
स्वच्छ पानी की नल में धार बिजली अविरल चौबीस तास { घंटे }
महंगाई पर लगे लगाम मिटे जनजन की भूखऔरप्यास
स्वच्छ सड़कें ,नदियां हों निर्मल विकसित देश सा हो आभास
पुरुष नारी या नौनिहालों को ना हो जन सुविधाओं का त्रास { कष्ट }
माना कि समय हुआ है थोड़ा अभी से दिल में क्यों है फांस
ऊंचे लक्ष्य तो साध लिए हैं विश्व को दिलाया "स्व - आभास "
किन्तु दीमक से देश चाटते ,सारे के सारे विभाग
जैसे के तैसे बने हुए हैं ,जनता के धन को करें "लम्पास"{ गायब}
कोई फर्क नहीं हुआ है ,वैसी ही है दिनचर्या
बरसोंबरस ,दिन सप्ताह ,बारहों मास
ईश्वर से मैं करूँ प्रार्थना ,मोदी को वे करें प्रदान
हज़ार आँखें ,हज़ार कान ,और हाथ में उनके सबकी" रास "{ लगाम }
तब तक चैन ना पाएगा कोई , ना लेगा राहत की सांस
जब तक पारदर्शिता से सबको,मिले ना हक़ ,ना मिटे उसाँस {गहरी कष्ट से ली गई सांस }
कब होंगे सब के ये सपने सच,कब मिटें अटकलें ,मिटें कयास {अंदाज़}
हर्षित हो पाएंगे कब सब जन,कब कर पाएंगे हासपरिहास
जब तक सारे मंत्री ,संत्री और मोदी के सारे अनुकर्मी
नहीं करेंगे इन सपनो को सच ,तब तक देश रहेगा उदास !
देश का युवा वर्ग चाहे है ,भारत का रूप बने "झक्कास "!
वयस्कों ने तो छोड़ ही दी थी ,देश के सुधार की आस
चला गया था गर्त में भारत,जकड़ा भ्रष्टाचार के पाश
प्रधानमंत्री भी बना हुआ था ,नेहरू गांधी परिवार का दास
कांग्रेस ने कर डाला था देश का पूरा सत्यानाश,
मोदी के शब्दों से जागा,जन जन में नया विश्वास
पूर्ण बहुमत बना तभी था ,लोगों का यह आत्मविश्वास
बीजेपी का यह वोट नहीं था ,संघ ना जाने आम और ख़ास
ना रहते हों भ्रष्टाचारी, कहिलों का हो ना निवास
सुनी जाए ना केवल उसकी ,जो नेता के खासमखास
स्वच्छ पानी की नल में धार बिजली अविरल चौबीस तास { घंटे }
महंगाई पर लगे लगाम मिटे जनजन की भूखऔरप्यास
स्वच्छ सड़कें ,नदियां हों निर्मल विकसित देश सा हो आभास
पुरुष नारी या नौनिहालों को ना हो जन सुविधाओं का त्रास { कष्ट }
माना कि समय हुआ है थोड़ा अभी से दिल में क्यों है फांस
ऊंचे लक्ष्य तो साध लिए हैं विश्व को दिलाया "स्व - आभास "
किन्तु दीमक से देश चाटते ,सारे के सारे विभाग
जैसे के तैसे बने हुए हैं ,जनता के धन को करें "लम्पास"{ गायब}
कोई फर्क नहीं हुआ है ,वैसी ही है दिनचर्या
बरसोंबरस ,दिन सप्ताह ,बारहों मास
ईश्वर से मैं करूँ प्रार्थना ,मोदी को वे करें प्रदान
हज़ार आँखें ,हज़ार कान ,और हाथ में उनके सबकी" रास "{ लगाम }
तब तक चैन ना पाएगा कोई , ना लेगा राहत की सांस
जब तक पारदर्शिता से सबको,मिले ना हक़ ,ना मिटे उसाँस {गहरी कष्ट से ली गई सांस }
कब होंगे सब के ये सपने सच,कब मिटें अटकलें ,मिटें कयास {अंदाज़}
हर्षित हो पाएंगे कब सब जन,कब कर पाएंगे हासपरिहास
जब तक सारे मंत्री ,संत्री और मोदी के सारे अनुकर्मी
नहीं करेंगे इन सपनो को सच ,तब तक देश रहेगा उदास !
देश का युवा वर्ग चाहे है ,भारत का रूप बने "झक्कास "!
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