करवटें बदलते गुजरती हैं रातें
तेरी याद ने कलेजे को दबोचा हुआ है
कौन है तू ,कोई अज़ीज़ तो नहीं
मेरे ख्यालों पे फिर क्यों छाया हुआ है
मेरे पूरे वजूद पर इतना हावी है क्यूं
किस बात से तू इतना भरमाया हुआ है { भ्रमित}
कहाँ है तू ,कभी दिखता नहीं है
क्यूं इस कदर हमको ठुकराया हुआ है
मुझे मुसीबतों के झंझावात में धकेल कर
ए सी में नर्म बिस्तर पर तू सोया हुआ है
मुगालता न रखना है पिता की विरासत
या लोकप्रियता के वोटों में नहाया हुआ है
तू भी था उस जहाज पर सवार
मोदी ने जिसे साहिल तक लगाया हुआ है
चालीस डिग्री की गर्मी में जब झुलसते हैं हम
तूने चैन की बंसी का राग बजाया हुआ है
मेहबूब नहीं है तू ,सांसद है हमारा
क्यों वोटरों की उम्मीदों को मिटाया हुआ है
जनता को जो कभी पूछते नहीं है
जनता ने सदा उन्हें मिटाया हुआ है
तेरी याद ने कलेजे को दबोचा हुआ है
कौन है तू ,कोई अज़ीज़ तो नहीं
मेरे ख्यालों पे फिर क्यों छाया हुआ है
मेरे पूरे वजूद पर इतना हावी है क्यूं
किस बात से तू इतना भरमाया हुआ है { भ्रमित}
कहाँ है तू ,कभी दिखता नहीं है
क्यूं इस कदर हमको ठुकराया हुआ है
मुझे मुसीबतों के झंझावात में धकेल कर
ए सी में नर्म बिस्तर पर तू सोया हुआ है
मुगालता न रखना है पिता की विरासत
या लोकप्रियता के वोटों में नहाया हुआ है
तू भी था उस जहाज पर सवार
मोदी ने जिसे साहिल तक लगाया हुआ है
चालीस डिग्री की गर्मी में जब झुलसते हैं हम
तूने चैन की बंसी का राग बजाया हुआ है
मेहबूब नहीं है तू ,सांसद है हमारा
क्यों वोटरों की उम्मीदों को मिटाया हुआ है
जनता को जो कभी पूछते नहीं है
जनता ने सदा उन्हें मिटाया हुआ है
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