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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

Dharavahik Upanyas---Anhoni--{8}

चार पांच ------तिहत्तर ---उसने देखा,कमलेश्वर अपनी साइकिल पर चला आ रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और आगे की गिनती वह भूल गई। कमलेश्वर पास आ चुका था, वह साइकिल से उतरा,उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान थी. उसने साइकिल लॉक की ,और ऊपर चढ़ने का इशारा किया,उसके मुंह से एक शब्द भी न निकला।  वे धीरे धीरे सीढ़ियां चढ़ने लगे। आठ दस सीढ़ियां चढ़ने पर कमलेश्वर ने बोलना शुरू किया " यह बहुत छोटी सी जगह है।  यहाँ कोई बात ज्यादा देर तक छुपी नहीं रहती, मई एक रूढ़िवादी परिवार से हूँ। मेरे पिता बहुत सख्त हैं परम्पराओं के निर्वाह में, मेरी माँ मेरे साथ मित्रवत थीं किन्तु उनका देहांत हो गया है।  पिता से तो बचपन से ही ज्यादा बात नहीं करता था ,अब एकदम अकेला हो गया हूँ --उसने एक आह सी भरी। 
फिर बोलना शुरू किया "तुम्हारा पर्चा नोट्स में से गिरा तो मैं घबरा गया था,यह मेरे जीवन का पहला साहसिक कदम है। 
"मेरा भी " अंजुरी बोली। "जब मैंने तुम्हे पहली बार देखा तो मेरा दिल मानो धड़कना ही भूल गया था "
"मुझे भी तुम पहली नज़र में ही बहुत अच्छी लग गई थी "
दोनों कुछ पल खामोशी से चलते रहे। वे अब सीढ़ियों के साथ साथ जो झाड़ियां थीं उन के साथ साथ चल रहे थे।  दोनों ही चाहते थे कि उनकी उपस्थिति का किसी को पता ना चले। 
कमलेश्वर ने अंजुरी से उसके परिवार के बारे में पूछा "यह तो मैं जानता हूँ कि नए तहसीलदार साहब अनमोल ठाकुर जी की बेटी हो तुम ,और कौन कौन हैं तुम्हारे घर में "
"मेरी माँ अंजना ठाकुर हैं और मैं ,बस मैं इकलौती हूँ। "
"तुम्हारा स्कूलिंग कहाँ हुआ ? और तुम्हे क्या क्या पसंद है ?
एक मधुर सी हंसी हंस दी थी अंजुरी "मुझे सब कुछ पसंद है ,मैं अपने  शहर के स्कूल की अव्वल नंबर थी. नृत्य ,स्टेज पर छोटी हास्य नाटिका हो या बड़े ऐतिहासिक नाटक मैंने हमेशा मुख्य भूमिका निभाई थी,मैं खोखो और टेबल टेनिस में भी स्कूल का प्रतिनिधित्व करती रही ,भाषण एवं वाद विवाद प्रतियोगिताएं में मैंने कई कप व ट्रॉफियां अपने विद्यालय के लिए जीतीं "
कमलेश्वर मंत्रमुग्ध सा उन रहा था ,और प्रशंसात्मक दृष्टि से अंजुरी की ओर देख रहा था। 
मैं तो सिर्फ पढता हूँ ,इस छोटी सी जगह में कोई सिनेमा हॉल भी नहीं है। स्पोर्ट्स वगैरह में भी कभी भाग नहीं लिया। हाँ तुम्हे ज़रूर यहाँ महाविद्यालय में स्पोर्ट्स तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। "
अब वे दोनों मंदिर पहुँच चुके थे।  दोनों ने अंदर जाकर दर्शन किये ,परिक्रमा की ,मंदिर सूना पड़ा  था 
वे आँखों ही आँखों में वापसी की सहमति के साथ सीढ़ियां उतरने लगे ---क्रमशः 

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