मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

बुधवार, 29 जनवरी 2020

Dharavahik Upanyas --Anhoni--{9}

कमलेश्वर ने अपनी साइकिल का लॉक खोला और वे दोनों साथ साथ चलने लगे।  ज्यों ही अंजुरी ने महाविद्यालय के सामने वाले रास्ते की ओर कदम बढ़ाया ,कमलेश्वर ने उसे रोक दिया और कहा कि उधर से नहीं इधर से आओ,उसने झाड़ियों के बीच एक पगडण्डी सी दिखाई ,अंजुरी ने सहमति जताई ,कमलेश्वर ने कहा ,इस पगडण्डी से कोई आता जाता नहीं है ,इस तरह से हम मुख्य मार्ग से आने जाने वालों की नज़र से बचे रहेंगे। इस पगडण्डी ने उन्हें लगभग तहसील तक पहुंचा दिया था ,झाड़ियों को एक ओर करते हुए कमलेश्वर ने कहा अब तुम घर जा सकती हो ,अंजुरी ने देखा वह तहसील के नज़दीक आ पहुंची है।  वह खुश हुई, दोनों ने आखों ही आखों में एक दूसरे से विदा ली अंजुरी झाड़ियों के बीच से बाहर निकल गई और कमलेश्वर ने हाथ से उठा कर साइकिल वापस विपरीत दिशा में मोड़ ली जिधर से वे आये थे, वह जल्दी ही मुख्य मार्ग पर पहुँच कर अपने घर की ओर चल दिया। 
कमलेश्वर घर आया तो उसके दिमाग में द्वन्द मचा था ,एक ओर ख़ुशी भी अपने चरम पर थी ,और पिता के क्रोधित चेहरे की कल्पना से ही उसे पसीना छूट रहा था। 
उधर जैसे ही अंजुरी ने घर में कदम रखा ,माँ ने सवाल पूछा , हो आयी मंदिर ? हाँ माँ।"कैसा है मंदिर ?
छोटा सा ही है।  कितनी सीढ़ियां हैं ?" तीन सौ हैं ""कितना टाइम लगा चढ़ने में ?" "हम तो चढ़ गए थे लगभग पैंतालीस मिनिट में " "हां ! मैं तो डेढ़ घंटे में ही रुक रुक के चढ़ पाऊँगी "उसे अपने घुटनो के दर्द का विचार हो आया,"फिर कभी जाउंगी "उसने अंजुरी और स्वयं को आश्वासन दिया। 
अंजुरी मुस्कुरा दी। वह एक अनजानी ख़ुशी से रोमांचित थी। आज उसने जीवन की नयी दिशा में कदम रखा था। एक अनजाना सा डर भी उसे सर से पैर तक  सिहरा गया। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharm & Darshan !! Datta Mandir , Indore !!

 यह चित्र इंदौर के प्राचीन दत्त मंदिर का है इस मंदिर से शिवाजी और उनके गुरु रामदास जी का भी संबंध रहा है। यह मंदिर संजय सेतु के नजदीक है। इं...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!