मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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रविवार, 9 फ़रवरी 2020

Dharavahi Upanyas --Anhoni ---{16}

अगले दिन कुछ और लड़कों ने गीत ,माउथ ऑर्गन ,तथा चुटकुले इत्यादि सुनाने के बारे में अपने अपने नाम लिखवाये। रोज के पीरियड्स समाप्त होने पर असेंबली हॉल में सिंधु वर्गीस मैडम तथा आशा शर्मा मैडम ने सभी कुछ सुन कर उन्हें फाइनल किया और समय सारिणी के हिसाब से उसे फिट पाया। उन्होंने नाटक के पांचो दृश्यों पर भी विचार विमर्श किया। वर्गीस मैडम टाइप किये हुए चार स्क्रिप्ट्स भी लाई थीं जो ५ दृश्यों के हिसाब से पांच भागो में बनती हुई थीं।  उन्होंने वे कमलेश्वर,अंजुरी ,कैलाश और प्रभा को सौंप दीं। अंजुरी और कैलाश के स्क्रिप्ट काफी ज्यादा पेज में थे जबकि कमलेश्वर और प्रभा के बहुत ही कम थे।  सिंधु वर्गीस मैडम ने सभी को रोल के हिसाब से जरी दार कपडे जुटाने को भी कहा। उन्होंने कहा कि उन कपड़ों को ही वे कच्चे टांके लगवा कर राजशाही तथा नृत्यों के योग्य पोषाको का रूप दे देंगी। उस ज़माने में किराये के इस प्रकार के स्टेज उपयोगी कपडे नहीं मिला करते थे। उन्होंने यह भी कहा कि चूँकि कार्यक्रम में केवल एक माह शेष है और वे नहीं चाहती कि सभी का पढाई का भी कोई नुकसान  हो अतः प्रति  रविवार को महाविद्यालय में सुबह दस से शाम चार बजे तक प्रैक्टिस होगी। सभी प्रतिभागी उपस्थित रहेंगे। हारमोनियम  तबला वादक भी आएंगे ताकि ग्रुप नृत्य की भी प्रैक्टिस हो सके। सम्पूर्ण समय सारिणी का आकलन भी हो पायेगा। कल रविवार है और उसके बाद तीन रविवार और आएंगे। इसके अलावा रोज क्लासेस के बाद एक से डेढ़ घंटा काफी होगा। बस अब आप लोग घर जा सकते हैं। असेंबली हॉल से निकल कर सभी महाविद्यालय अहाते में बातें करने लगे। 
सभी अपने अपने विचार अभिव्यक्त करने लगे। 
कमलेश्वर ने फिर वही राग अलापा ,"मैंने तो कभी स्टेज पर काम नहीं किया ---पहले अंजुरी ने ज़ोर से ठहाका लगाया ,फिर सभी हँसने लगे। 
अंजुरी कमलेश्वर को पुचकारने वाले अंदाज़ में बोली , "तुम चिंता मत करो ,तुम्हारी पत्नी तो मैं ही हूँ ,सब सम्हाल लूंगी " सभी अंजुरी की ओर  मुंह फाड़े देख रहे थे। 
अंजुरी बोली "अरे भाई ! मैं सम्राट अशोक की पत्नी हूँ ना। तो मैं सभी दृश्यों में कमल के साथ रहूंगी तो इसे सम्हाल ही लूंगी ना ?
कमलेश्वर को शायद किसी ने कमल कह कर नहीं पुकारा था ,उसका घर का पुकारने का नाम मुन्नू था ,सभी अंजुरी के मुंह से कमल सुन कर चौंक गए ,कमल को तो इतना अच्छा लगा कि ,उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। उसे इतना अपनेपन का एहसास हुआ कि --------क्रमशः 

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