अंजुरी और कमलेश्वर की कोई बातचीत ना हो पाई। कमलेश्वर रात काफी देर तक सो नहीं पाया। उसके मन में बड़ी उहा पोह था। उसने कभी भी स्टेज पर काम नहीं किया था। अंजुरी उत्साहित थी और उसने अपने माता पिता से कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बातें कीं। दूसरे दिन सभी पीरियड्स समाप्त होने के बाद सभी छात्र छात्राएं सिंधु वर्गीस मैडम के पास असेंबली हॉल में पहुँच गए थे। आशा शर्मा मैडम भी वहीँ थीं। सभी छात्र छात्राएं जब अपनी अपनी सीट्स पर बैठ गए तो सिंधु मैडम ने ब्लैक बोर्ड { घोड़ी वाला } movable पर लिखना शुरू किया। कार्यक्रम आरम्भ होने का समय 7.30 तथा समाप्त होने का समय अधिकतम 9.30 ,आगे उन्होंने नंबरिंग करते हुए ,कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वंदना --5 मिनट से आरम्भ किया ,वे बोलती भी जा रहीं थीं। उन्होए बताया कि नाटक "सम्राट अशोक " पांच भागों में खेला जायेगा। मुख्य पात्र चार ही होंगे --सम्राट अशोक ,पत्नी तिष्यरक्षिता,सौतेला पुत्र कुणाल और उसकी पत्नी कंचनमाला ,इनमे सम्राट अशोक एवं कंचन माला का रोल नाम मात्र का है कम से कम डायलॉग हैं। कुणाल और तिष्यरक्षिता का रोल लम्बा है और डायलॉग भी ज्यादा हैं इसलिए हमलोगों ने सम्राट अशोक का रोल कमलेश्वर के लिए ,तिष्यरक्षिता का अंजुरी के लिए ,कुणाल का कैलाश के लिए और कंचन माला का प्रभा के लिए ,ठीक है ना ? पर मैडम --- कमलेश्वर ने कुछ बोलना चाहा ,लेकिन उसकी आवाज़ शोर में गुम हो गई। "अब इन पांच दृश्यों के बीच बीच में हमें बाकी के छोटे छोटे कार्यक्रमों को फिट करना है। अभी तक हमारे पास दो ग्रुप डांस हैं सभी लड़कियों के ,और हम कल अनाउंस करेंगे और कार्यक्रमों के लिए। और कल ही आपलोगों को स्क्रिप्ट दे दी जाएगी अपने अपने रोल के डायलॉग्स की। बस अब आप लोग जा सकते हैं। अंजुरी हंसती खिल खिलाती हुई सहेलियों के साथ जा रही थी और कमलेश्वर उसे देख देख कर हर्षित हो रहा था। ---क्रमशः
मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts
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