अपने अपने घर पहुंचे तो दोनों ही रोमांचित से थे और देर तक नींद आँखों से दूर रही। कमलेश्वर की अधिकाँश चिंता अपने रूढ़िवादी परिवार ,कठोर परम्पराओं के निर्वाह और पिता का कठोर स्वभाव ,उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके जीवन किस दिशा में जा रहा है। अंजुरी एक तेज़ हवा के झोंके की तरह उसके जीवन में आयी और पूरे वजूद पर छा गई थी।
"रिहर्सल हो गई ?"मम्मी ने पहुँचते ही अंजुरी से पूछा। अपने ही विचारों में खोई अंजुरी बोली "हूँ --हाँ हाँ --हो गई "मम्मी ने विशेष गौर नहीं किया।
दूसरे दिन महाविद्यालय में रोज की तरह ही पीरियड्स शुरू हुए। जितनी बार अंजुरी और कमलेश्वर की आँखें टकराई दोनों ही झेंपते हुए इधर उधर नज़र फेर ली।
चार पीरियड्स समाप्त होते होते दोनों ही कुछ सामान्य अवस्था में आये। छुट्टी होने के बाद सभी प्रतिभागी छात्र छात्राएं लंच करके असेंबली हॉल में एकत्र हुए।सभी ने सिंधु मैडम से उनकी माताजी की तबियत के बारे में पूछा। "वे ठीक हैं ,कोई विशेष बात नहीं थीं। सिंधु वर्गीस मैडम ने विवाह नहीं किया था और वे अपनी माताजी के साथ किराये के मकान में रहती थीं।
क्रमानुसार ही रिहर्सल आरम्भ हुई। कैलाश ,प्रभा अंजुरी और कमलेश्वर अपनी अपनी स्क्रिप्ट हाथ में लिए दृश्यों के मंचन की प्रैक्टिस कर रहे थे। अंजुरी को स्वयं के तो सभी डायलॉग्स याद थे ही साथ ही अन्य तीनो पात्रों के डायलॉग्स भी याद थे। सिंधु वर्गीस मैडम हंसने लगी ,बोली ," किसी को प्रॉम्प्टिंग करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी "आज की रिहर्सल से मैडम संतुष्ट थीं। उन्हें कमलेश्वर की चिंता थी लेकिन आज उसने संतोष जनक ही डायलॉग्स बोले।
सभी लड़के वहीँ बाहर लगी कुर्सियों पर बैठ गए और लड़कियों के ग्रुप डांस की प्रैक्टिस शुरू हो गई ,जो कि गुजरात का गरबा था और उसे टिपरियों के साथ किया जा रहा था। लडकियां अच्छी तरह समझ कर गीत ,हारमोनियम और तबले की थाप पर नृत्य कर रहीं थी।
दूसरा पंजाब का भांगड़ा था और उसे भी सिंधु वर्गीस मैडम ने बहुत ही निपुणता से सिखाया था।
एक नृत्य अंजुरी का सोलो नृत्य था। जो कि सिंधु वर्गीस मैडम ही गाने वालीं थीं। शेष दोनों गीत ,दोनों ही मैडम साथ में गाने वाली थीं। चूँकि सिंधु वर्गीस मैडम ने संगीत की भी डिग्री ली थीं ,महाविद्यालय के इस वार्षिक महोत्सव के स्टेज को सम्पूर्ण रूप से सम्हाल लेती थीं। ----क्रमशः
"रिहर्सल हो गई ?"मम्मी ने पहुँचते ही अंजुरी से पूछा। अपने ही विचारों में खोई अंजुरी बोली "हूँ --हाँ हाँ --हो गई "मम्मी ने विशेष गौर नहीं किया।
दूसरे दिन महाविद्यालय में रोज की तरह ही पीरियड्स शुरू हुए। जितनी बार अंजुरी और कमलेश्वर की आँखें टकराई दोनों ही झेंपते हुए इधर उधर नज़र फेर ली।
चार पीरियड्स समाप्त होते होते दोनों ही कुछ सामान्य अवस्था में आये। छुट्टी होने के बाद सभी प्रतिभागी छात्र छात्राएं लंच करके असेंबली हॉल में एकत्र हुए।सभी ने सिंधु मैडम से उनकी माताजी की तबियत के बारे में पूछा। "वे ठीक हैं ,कोई विशेष बात नहीं थीं। सिंधु वर्गीस मैडम ने विवाह नहीं किया था और वे अपनी माताजी के साथ किराये के मकान में रहती थीं।
क्रमानुसार ही रिहर्सल आरम्भ हुई। कैलाश ,प्रभा अंजुरी और कमलेश्वर अपनी अपनी स्क्रिप्ट हाथ में लिए दृश्यों के मंचन की प्रैक्टिस कर रहे थे। अंजुरी को स्वयं के तो सभी डायलॉग्स याद थे ही साथ ही अन्य तीनो पात्रों के डायलॉग्स भी याद थे। सिंधु वर्गीस मैडम हंसने लगी ,बोली ," किसी को प्रॉम्प्टिंग करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी "आज की रिहर्सल से मैडम संतुष्ट थीं। उन्हें कमलेश्वर की चिंता थी लेकिन आज उसने संतोष जनक ही डायलॉग्स बोले।
सभी लड़के वहीँ बाहर लगी कुर्सियों पर बैठ गए और लड़कियों के ग्रुप डांस की प्रैक्टिस शुरू हो गई ,जो कि गुजरात का गरबा था और उसे टिपरियों के साथ किया जा रहा था। लडकियां अच्छी तरह समझ कर गीत ,हारमोनियम और तबले की थाप पर नृत्य कर रहीं थी।
दूसरा पंजाब का भांगड़ा था और उसे भी सिंधु वर्गीस मैडम ने बहुत ही निपुणता से सिखाया था।
एक नृत्य अंजुरी का सोलो नृत्य था। जो कि सिंधु वर्गीस मैडम ही गाने वालीं थीं। शेष दोनों गीत ,दोनों ही मैडम साथ में गाने वाली थीं। चूँकि सिंधु वर्गीस मैडम ने संगीत की भी डिग्री ली थीं ,महाविद्यालय के इस वार्षिक महोत्सव के स्टेज को सम्पूर्ण रूप से सम्हाल लेती थीं। ----क्रमशः
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