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मंगलवार, 3 मार्च 2020

Dharavahik Upanyas---Anhoni--{37}

अगले पंद्रह दिनो की दिनचर्या में विशेष  परिवर्तन नहीं हुआ। दोनों ही प्रतिभाशाली और बुद्धिमान थे। पढाई में भी अपने स्तर को गिरने नहीं देना चाहते थे। और सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि जो विषय उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण था ,उसपर दोनों ही बात करने से कतरा रहे थे। दोनों को ही यह सान्निध्य अनायास ही प्राप्त हुआ था। सांस्कृतिक कार्यक्रम की रिहर्सल में भी और अब बैडमिंटन की प्रैक्टिस में भी। ये पंद्रह दिन चुटकियों में बीत गए ,दो दिन बाद ही जाना था और यद्यपि जाने तारीख़ तय थी ,आने की इसलिए तय नहीं थी कि एक तो सभी आयी हुई टीम्स के साथ खेलना और जीतने पर सेमी फ़ाइनल और फाइनल,सिंगल्स भी और डबल्स भी खेलना चैम्पियनशिप के लिए। सिंधु मैडम ने दोनों को ही फॉर्म्स दिए थे अपने अपने अभिभावकों से दस्तखत ले कर आने के लिए। साथ जाने वालों में आशा शर्मा मैडम और चौहान सर थे। अंजूरी और कमल  को तो दस्तखत करा के लाने में कोई समस्या नहीं हुई। हालाँकि कमल का भी महाविद्यालय की ओर से प्रतियोगी बनने का पहला ही अवसर था। जिले तक जाने का कार्यक्रम अक्सर ही कमल बनाता था, कपड़ों की खरीदी किताबो की खरीदी तो यह जाना भी पापा के लिए सामान्य सी ही बात थी,उन्हें पता ही नहीं था कि दूसरी प्रतिस्पर्धी अंजूरी भी जा रही है। एक दिन पहले ही आशा शर्मा मैडम और चौहान सर ने अगले दिन जाने वाली बस का समय बता दिया। मैडम ने कहा कि स्पोर्ट्स की यूनिफार्म के साथ एक सप्ताह के पर्याप्त कपडे लेकर चलें। कमल ने अपनी तैयारी स्वयं की और अंजूरी ने अपनी मम्मी की मदद से। दूसरे दिन पापा ने उसे जीप से बस स्टैंड तक पहुंचा दिया था और कमल को भी पापा ने अपनी कार से ,यह एक संयोग ही था कि पहले कमल पहुंचा और पापा को जल्दी थी ज़मीनी कामो के सिलसिले में किसी से मिलना था तो वे उसे ड्राप क्ररके जल्दी ही चले गए,चौहान सर तब तक पहुँच चुके थे । थोड़ी देर में  आशा शर्मा और अंजूरी लगभग आगे पीछे ही पहुंचे। थोड़ी देर में  ही बस आ गई, उन सभी ने सामान कॅरियर पर रखवाया और बस में बैठ गए। कमल और चौहान सर एक सीट पर और आशा शर्मा मैडम और अंजूरी एक सीट पर बैठे। दो घंटों का ही सफर था। 
बस चल पड़ी ,चौहान सर बार बार मुड़ मुड़ कर आशा शर्मा मैडम से कुछ कुछ पूछ रहे थे। आशा शर्मा मैडम को असुविधा जनक लगा और उन्होंने कमलेश्वर से पीछे आकर बैठने को कहा और वे आगे चौहान सर की  बगल में आकर बैठ गई। कमल उठा ,उसकी नज़रें अंजूरी से मिली ,वह मुस्कुरा रही थी ,अँधा क्या मांगे दो आँखें,कमल अंजूरी के पास  बैठ गया ---क्रमशः -----

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