वे लोग रात जल्दी ही खाना खाकर हॉस्टल आ गए। दूसरे दिन दोनों के ही एक एक सिंगल्स मैच थे ,जो दोनों ने जीत लिए.दोनों को ही इस जीत से काफी उत्साह मिला। दिन में साडे बारह बजे वे लोग फ्री हो गए थे। वे सभी हॉस्टल के रूम पर चेंज करके खाना खाने निकले। पूरे रोड पर काफी सारे ढाबे थे ,लेकिन चूँकि खिलाड़ियों की भीड़ काफी थी ,हर ढाबे में क्यू लगी हुई थी और टेबल खली होने पर ही जगह मिल पा रही थी। खाना खाने के बाद उन लोगों ने वहां का मशहूर किला देखने का प्लान बनाया और वे ,ताँगा लेकर वहां गए। किला काफी बड़ा था और लगभग एक घंटे में वे पूरा किला देख पाए। वापस आते आते फिर शाम ही हो आयी थी। डिनर के लिए वे लोग लंबी क्यू में खड़े होना नहीं चाहते थे अतः भूख विशेष ना होने पर भी वे खाली टेबल पाकर ,जा बैठे ,सभी हंस पड़े।
खाना खाकर हॉस्टल आ गए और अपने अपने कमरों में जाकर सो गए। दूसरे दिन दोनों को ही डबल्स मैच खेलना था और वह भी एक पुरानी और अच्छी टीम के साथ। दूसरे दिन , दोनों को ही उम्मीद नहीं थी कि वे जीत पाएंगे ,लेकिन दोनों चाहे पहली बार ही डबल्स खेल रहें हों वे बेहतरीन खेल रहे थे और आश्चर्य ये था कि दर्शकों की भीड़ भी उन दोनों को ही चीयर अप कर रही थी। दोनों जीत चुके थे ,और अब एक ही और टीम से जीतने पर वे जिलास्तरीय डबल्स के चैम्पियन बन जाने वाले थे।
दोनों की ख़ुशी छलक रही थी। वापस लौटते हुए ,आशा शर्मा मैडम ने कहा कि उन्होंने अपनी मौसी को वचन दिया था कि वे मौसी से मिलने ज़रूर जाएँगी। इसलिए मैं आज मिल ही आती हूँ शाम तक आउंगी। उनके जाने के बाद तीनो ने दिन का भोजन किया और हॉस्टल की ओर चल पड़े ,अंजुरी ने कहा "सर अभी से हॉस्टल जाकर क्या करेंगे ? उन्होंने प्रश्न वाचक दृष्टि से अंजुरी को देखा। अंजुरी बोली चलिए न सर फिल्म देखने 3 से 6,नई लगी है बहुत अच्छी है"वे सोचते हुए बोले " नहीं मैं तो सोऊंगा हॉस्टल जाकर ,तुम लोग चाहो तो जाओ फिल्म देखने " दोनों के दिल बल्लियों उछलने लगे ,लेकिन उन्होंने सामान्य सा चेहरा बना कर हामी भरी और दूसरी दिशा में चल पड़े " अभी दोपहर का डेढ़ ही बजा था। वे पार्क में जाकर बैठ गए। उन्हें समय जो बिताना था।
"कमल " अंजुरी ने प्यार से कहा,कमल का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। अंजुरी जब भी उसे अपनी मधुर सी आवाज़ में इस तरह पुकारती थी उसे जाने क्या हो जाता था। ---क्रमशः -----
खाना खाकर हॉस्टल आ गए और अपने अपने कमरों में जाकर सो गए। दूसरे दिन दोनों को ही डबल्स मैच खेलना था और वह भी एक पुरानी और अच्छी टीम के साथ। दूसरे दिन , दोनों को ही उम्मीद नहीं थी कि वे जीत पाएंगे ,लेकिन दोनों चाहे पहली बार ही डबल्स खेल रहें हों वे बेहतरीन खेल रहे थे और आश्चर्य ये था कि दर्शकों की भीड़ भी उन दोनों को ही चीयर अप कर रही थी। दोनों जीत चुके थे ,और अब एक ही और टीम से जीतने पर वे जिलास्तरीय डबल्स के चैम्पियन बन जाने वाले थे।
दोनों की ख़ुशी छलक रही थी। वापस लौटते हुए ,आशा शर्मा मैडम ने कहा कि उन्होंने अपनी मौसी को वचन दिया था कि वे मौसी से मिलने ज़रूर जाएँगी। इसलिए मैं आज मिल ही आती हूँ शाम तक आउंगी। उनके जाने के बाद तीनो ने दिन का भोजन किया और हॉस्टल की ओर चल पड़े ,अंजुरी ने कहा "सर अभी से हॉस्टल जाकर क्या करेंगे ? उन्होंने प्रश्न वाचक दृष्टि से अंजुरी को देखा। अंजुरी बोली चलिए न सर फिल्म देखने 3 से 6,नई लगी है बहुत अच्छी है"वे सोचते हुए बोले " नहीं मैं तो सोऊंगा हॉस्टल जाकर ,तुम लोग चाहो तो जाओ फिल्म देखने " दोनों के दिल बल्लियों उछलने लगे ,लेकिन उन्होंने सामान्य सा चेहरा बना कर हामी भरी और दूसरी दिशा में चल पड़े " अभी दोपहर का डेढ़ ही बजा था। वे पार्क में जाकर बैठ गए। उन्हें समय जो बिताना था।
"कमल " अंजुरी ने प्यार से कहा,कमल का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। अंजुरी जब भी उसे अपनी मधुर सी आवाज़ में इस तरह पुकारती थी उसे जाने क्या हो जाता था। ---क्रमशः -----
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