जब वे सामान लाने महानगर गए तो यह विचार कर कि अब निकट भविष्य में मथुरा वृंदावन दूर हो जाएगा उन्होंने टैक्सी द्वारा मथुरा वृंदावन जाने का प्रोग्राम बनाया इसका
वर्णन आप सभी ने पिछले एपिसोड्ज़ में पढ़ चुके हैं । अब पुनः हम सुबीर और नीलांजन की इस उज्जैन यात्रा पर आए हैं । यहाँ इस नए घर में नीलांजना ने प्रभा नाम की एक हेल्पर रख ली थी जो घर सफ़ाई एवं बर्तन सफ़ाई का कार्य कुशलता से कर रही थी। चूँकि दीपावली बिकत थी तथा परम्परागत रूप से सभी अपने अपने घरों की सफ़ाई रंगाई पुताई करते करवाते हैं , प्रभा को भी अतिरिक्त कमाई हो रही थी वह सबसे अंत में ही नीलांजना के यहाँ आती थी । धुआँधार काम करने के बाद उसने दो दिन छुट्टी करने की घोषणा सभी घरों में कर दी और नीलांजना को भी बताया । नीलांजना को इसमें उज्जैन जाने का सुअवसर दिखाई दिया और सुबीर तथा नीलांजना ने इस कार्यक्रम को ओके किया । दोनो ने अपने अपने back pack तैयार किए ।
इस शहर में आने के बाद से घर के पास ही के ऑटो स्टैंड के एक अधेड़ ऑटो वाले रामशरण से उनके आत्मीय सम्बंध बने ।आरम्भ में बस वह इन दोनो की संजना के घर पहुँचने गया था , और सुबीर ने दो के स्थान पर तीन पोहे के पैकेट ख़रीदे , उस दिन के बाद से कहीं भी जाना होता सुबीर उसे फ़ोन कर देते और वह पहुँच जाता , उसने इन दोनो के गृहस्थी के सामान जुटाने में बहुत ही सहायता की थी । रुपए भी वह किराए के रूप में काफ़ी कम लेता था । भूषण संजना व प्रीति मज़ाक़ में कहा करते आपको ड्राइवर विथ कार मिली हुई है ।उन्होंने रामशरण को फ़ोन कर दिया कि वहगले दिन प्रातः साढ़ेसात बजे आ जाय । उसने बराबर दोनो को सही समय पर बस स्टैंड पहुँचा दिया । बस में काफ़ी सवारियाँ बैठीं थीं और बस निकल ही चुकी थी । सुबीर और नीलांजना ने भाग कर उसे पकड़ ही लिया ।
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