बस की गति अच्छी ही थी , किंतु आगे बैठी एक मुस्लिम एवं दूसरी हिंदू स्त्री ड्राइवर से बतकुच्चन कर रहीं थीं कि उन्हें सवा नौ तक कहीं पहुँचना है अतः बस कहीं रोके नही । ड्राइवर उनके बार बार कहने पर हत्थे से उखड़ गया और बोला कि जल्दी उठ कर इससे पहले की बस पकड़नी थी । ये बस तो अपने टाइम से ही चलेगी और सरकारी गिनती , टोल इत्यादि के लिए एवं सवारी उठाने उतारने के लिए रुकेगी भी । बस लगभग सवा दस में पहुँची और देवास गेट पर सभी सवारियों को उतारी । उससे पहले ही सुबीर ने अपने आगे बैठे युवक से कुछ पूछताछ कर ही ली थी उसने बताया कि आप बैटरी वाली रिक्शॉ से महाँकालेश्वर तक जाने को कहा । रिक्शॉ वाले ने चारों सवारियों से बीस बीस रुपए लिए । चौथा युवक नागपुर से आया था और रात की ट्रेन पकड़नी थी उसे । वह भी उस युवक से सभी जनकारियां ले रहा था किस प्रकार वह सभी दर्शनीय आस्था के स्थानों को देख सके । सुबीर नीलांजना और वह युवक उतार गए । जानकारी देने वाला युवक आगे धन्वन्तरि हॉस्पिटल जाना चाहता था अतः वह बैठा रहा । सुबीर और नीलांजना पूछते पूछते आगे बढ़ते गए । होटेल्स की भरमार थी लाइन से होटेल बने थे और बीच में सभी प्रकार की पूजा सामग्री, रुद्राक्ष ,सजावट के सामान , रंगीन मन्नत के धागे , तथा तरह तरह के सामानों से सजी दुकाने थीं ।होटेल्स के एजेंट्स आगे बढ़ बढ़ कर मार्ग रोक रहे थे , कमरे की विशेषता और क़ीमतें भी बताते जा रहे थे । बीच बीच में मस्तक पर चंदन तिलक लगाने वाली कन्याए एवं भिक्षा में सीधा माँगने वाली स्त्रीयां भी पीछा कर रहीं थीं । एक यात्री महिला ने चिढ़ कर उससे कहा कि तीन तीन को सीधा ख़रीद कर दे चुकी हूँ ।( सीधा अर्थात् आटा चावल डाल घी तेल नमक इत्यादि का पैकेट ) वहाँ एक दुकान भी थी जिस पर इस प्रकार के सीधे के पैकेट बने बनाए हुए बेचने के लिए रखे थे ) सुबीर और नीलांजना को एक समझदार से अधेड़ व्यक्ति ने होटेल के लिए परामर्श दिया । एक बड़ी सी दुकान जिसमें सभी प्रकार का पूजन का सामान प्रसाद तथा कपड़ों के कलाकारी पूर्ण बैग भी रखे थे , उस दुकान के मध्य भाग से ही होटेल के अंदर जाने का मार्ग था , यह बात नीलांजना को अजीब सी लगी किंतु कमरा छोटा होने के बावजूद साफ़ सुथरा ,वाशरूम भी स्वच्छ था किंतु किराया 1500 कुछ अधिक लगा । दोनो बाहर आ गये और पास के दूसरे होटेल में गए यह सस्ता था ,सुबीर ने ऊपर जाकर देखा और नकारात्मक रूप से सर हिलाते नीचे आ गए । वे पहले वाले में ही चले गए और सारी औपचारिकताए पूर्ण कर कमरा ले लिया ।
मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts
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