मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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गुरुवार, 11 जनवरी 2024

Dharawahik Upanyas Anpekshit !! ( 648 )

 संजना ने फ़ोन कर के पूछा “ सलोनी और मिनी ने कल गुलावट जाने का प्रोग्राम बनाया है “ सुबीर और नीलांजना सहर्ष ही तैयार थे । भूषण चूँकि वर्किंग डेज़ में कोर्ट में अत्यंत व्यस्त रहता था , रविवार को विश्राम करना चाहता था और प्रखर भी अपने क़ानूनी पढ़ाई में व्यस्त था प्रीति ने आने का निश्चय किया था अतः बाक़ी सभी लोग दो बड़ी कारों में गुलावट पहुँचे । हातोद के निकट थी यह लोटस वेली , अभी सुबह के साढ़े आठ ही बजे थे , यह एक ठंडी सुबह थी , 7 जनवरी 2024 की , सलोनी में बोट वाले से ग्यारह लोगों की tickets लीं और एक एक कर सभी बोट में सवार हो गए । प्रीति आई थी और वह तथा अन्य बाग़वानी प्रेमी सभी लोग बोटिंग के दौरान कमल के पौधे जुटा रहे थे , संजना घर से पोलीथिन के बैग्स ले आई थी , सबने अपने अपने प्लांट्स उनमे रखे नीलांजना हाथ में तीन कमल लिए प्रसन्न थी । मिनी विडीओ बनाने में व्यस्त थी । कुहासा था , चारों ओर कमल ही कमल थे , जलमुर्गी, सारस और अन्य काले रंग के अपरिचित से प्रवासी पक्षी थे , ठंड थी पर प्रकृति की अप्रतिम अनिर्वचनीय सुंदरता से सभी अभिभूत थे कि ठंड का पता ही न चल रहा था । सभी फ़ोटोग्राफ़ी में व्यस्त थे और इस सुंदरता को न केवल आंखों में अपितु केमरे में स्मृतियों में क़ैद कर लेना चाहते थे । बोट वाला आगे केरला पोईंट की ओर ले गया , यह झील जो कि साढ़े ईकत्तीस किलोमीटर लम्बी और पाँच किलोमीटर चौड़ी है चारों ओर कमल ही कमल से भरी थी ,अब उस स्थान पर थी जहां किनारे पर नारियल के पेड़ थे जो केरला का आभास कराते थे ।लगभग एक घंटे की बोटिंग के बाद सभी किनारे पर आ गए ! लोगों ने कमल के फूलों से सज्जित विभिन्न सेट लगाए हुए थे जहां कुछ रुपए देकर लोग फ़ोटो खिंचवा रहे थे ।नीलांजना और सुबीर ने प्राकृतिक पृष्ठ भूमि में फ़ोटो खिंचे और खिंचवाये । अब तक सभी को भूख लग आई थी। वहाँ विभिन्न स्टॉल लगे थे सलोनी और मिनी वहाँ ऑर्डर देने में व्यस्त हो गईं । बाक़ी लोग पेड़ के नीचे जलते अलाव के इर्दगिर्द पड़ी कुर्सियों पर बैठ गए । वही बैठ कर गरमा गरम मैगी आलू बड़े और पकौड़ों के साथ मसाला चाय का आनंद लिया । वहाँ कई स्ट्रे डॉग्स थे , बच्चों ने उन्हें बिस्किट ख़रीद कर खिलाए ।अब लौटने का समय था । सभी के मानस पटल पर एक अविस्मरणीय स्मृति के रूप में छा गया था गुलावट !

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