जब सीताजी की विवाह के समय एक रस्म के लिए भाई की जरूरत पड़ी।
पुजारी ने कन्या के भाई के लिए आवाज लगाई तो लालवर्ण का एक दिव्य युवक प्रगट हुआ और परिचय दिया "मैं धरती पुत्र मंगल हूं! चूंकि सीता भी धरती सुता है इसलिए मैं ही उसका भाई हूं।'
वैसे कई जगह वर्णित है कि जनक के भाई को एक पुत्र था -लक्ष्मीनिधी!
जिसने बाकि बहनों के लिए रस्म निभाई।
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