छोटी सी बात , बस बन जाती है शिकायत ,
छीन लेती है अम्नोसुकून ,
बन जाती है अदावत ,
ख़ुदगर्ज़ी के चश्में से ,
जब देखोगे ये दुनिया
तो कहीं भी न देख पाओगे
बचपन की मोहब्बत , वो नोकझोंक , वो शरारत ,
वो पाकीज़ा रिश्ते ,
जो असल में बुजुर्गों की थी नायाब वसीयत ,
छोटी सी ज़िंदगी , जाने जब ख़त्म हो जाए
और तब दिल की ख़लिश न बन जाए ये शिकायत
ज़िंदगी भर फाँस बन कर चुभती रहे कलेजे में ,
के क्यूँ न कर ली थी सुलह ,
खामख्वाह अपने ग़ुरूर से , बना दी थी बुलंद ,
जो थी महज़ एक छोटी सी शिकायत !!
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