रे मन
रे मन तू , कभी नहीं थकना
बस चलते ही रहना
शरीर की पीड़ा रोके भी तो
उसकी बात नहीं सुनना
रे मन तू , कभी नहीं थकना
वर्षों बीत गए संघर्षों में
आई आँधी , आए तूफ़ाँ,
तूने हिम्मत कभी न हारी,
डट कर खड़ा रहा हरदम
सामना किया हर झंझावत का ,
दुष्टों की
कुटीलतम चालों का भी
दिग्भ्रमित करते छलावों का भी ,
चलता रहा ,
चलाता रहा मुझको तू ,
आगे भी चलते जाना
इक तू ही है मेरा साथी
साथ तुझे निभाना है
ना टूटना है तुझको
ना मुझे टूटने देना है
जब तक साँसे चलतीं हैं ये
तू मेरा और मैं हूँ तेरी
दोनो मिलकर स्वस्थ रहें
और जीवन का लें आनंद
लेकर कुछ नहीं जाना है ,
तो क्यूँ ना देकर जायें
अच्छी स्मृतियाँ
शब्दों की अगणित लड़ियाँ ,
तू बस साथ चला चल मेरे
मैं बन कर तेरी अनु गामिनी
रे मन मेरे चलता चल
साथ मुझे चलाता चल !!
निरुपमा सिन्हा
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