दीपावली में लक्ष्मी और गणेश की पूजा का रहस्य!
प्रायः लोगों के मन में प्रश्न उठता की दीपावली में बजाय लक्ष्मी और नारायण के युगल पूजा के गणेश और लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है?
एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी को अपने समृद्धि और ऐश्वर्य पर अभिमान हो गया था।जब नारायण ने इसे लक्ष्य किया था उन्होंने लक्ष्मी से कहा -" देवी! धन -ऐश्वर्य से कोई स्त्री सम्पूर्ण नहीं मानी जाती है!कोई भी स्त्री तब पूर्ण नहीं होती है जब तक उसके गोंद में बच्चा न हो!'
लक्ष्मी निराश हो गयीं। उदासी का कारण जानने के बाद मां पार्वती ने अपने छोटे पुत्र गणेश को उनके गोद में डाल दिया।दत्तक पुत्र पाकर लक्ष्मी अत्यंत खुशी से बोली "आज से मेरी पूजा मेरे बेटे गणेश के साथ पूर्ण मानी जायेगी!"
व्यवहारिक संहिता के अनुसार चूंकि लक्ष्मी की उत्पत्ति जल से हुई है अतः उनका स्वाभाव जल सा ही है और वो सदैव चलायमान रहती है। कभी भी एक स्थान पर नहीं टिक कर नहीं रहती।उनका उपयोग और लाभ बुद्धि विवेक से ही संभव है जिसके अधिष्ठाता गणेश हैं। गणेश ऋद्धि सिद्धि के स्वामी हैं।
चूंकि दीपावली चतुर्मास के दौरान पड़ता जिसमें देवशयनी पड़ता है और नारायण योगनिद्रा में रहते हैं अतः वो उस समय उपस्थित नहीं होते हैं।
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