ढर्रे पर केजरीवाल ----
लाये थे तुम्हे हम सब ये सोच कर
कि तुम दिखे थे अलग लीक से हटकर
वादों पे तुम्हारे हमने किया था यकीन
कुछ तो पूरे किये तुमने पर
ज्वलंत हैं अधर पर
बार बार हमने तुम्हे याद भी दिलाया
तुम भूल से ना फटके
देखने को ये कहर
भ्रष्टाचार के रास्ते
क्या तुम भी चल पड़े हो
क्यों काम अधूरे छोड़े
नाले और सीवर
मेन आउटलेट क्यों तुमने नहीं बनवाया
ज़मीन के नीचे पूरा
तालाब रह गया बनकर
दीवारों में दरारें ,धंस रहे हैं फर्श
तुमको ना दहला पाया
चार जानों का अंत
आखरी है मौका ,होश में आ जाओ
वादा है वरना तुमको
हरा कर ही लेंगे दम !!
मोहन गार्डन से ---निरुपमा सिन्हा
लाये थे तुम्हे हम सब ये सोच कर
कि तुम दिखे थे अलग लीक से हटकर
वादों पे तुम्हारे हमने किया था यकीन
कुछ तो पूरे किये तुमने पर
ज्वलंत हैं अधर पर
बार बार हमने तुम्हे याद भी दिलाया
तुम भूल से ना फटके
देखने को ये कहर
भ्रष्टाचार के रास्ते
क्या तुम भी चल पड़े हो
क्यों काम अधूरे छोड़े
नाले और सीवर
मेन आउटलेट क्यों तुमने नहीं बनवाया
ज़मीन के नीचे पूरा
तालाब रह गया बनकर
दीवारों में दरारें ,धंस रहे हैं फर्श
तुमको ना दहला पाया
चार जानों का अंत
आखरी है मौका ,होश में आ जाओ
वादा है वरना तुमको
हरा कर ही लेंगे दम !!
मोहन गार्डन से ---निरुपमा सिन्हा
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