आगमन और गमन एक सिक्के के दो पहलू हैं। वास्तव में जीवन अलग अलग पड़ावों की एक श्रंखला है,जिसमे बचपन ,नटखट खेलकूद में और विद्याध्यन में बीतता है,युवावस्था कर्मयोग की अवस्था है जिसमे व्यक्ति वैवाहिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह करने हेतु कर्मक्षेत्र में उतरता है,प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता एवं कुशलता के आधार पर कार्य प्राप्त करता है एवं निर्वाह करता है ,किन्तु निर्धारित आयु सीमा तक कार्य करने के उपरान्त उसका अवकाश निर्धारित होता है,इस समय अवकाश प्राप्त करने वाले को वर्षों का साथ छूटने के लिए सहकर्मियों के प्रति मधुर किन्तु विकलता की भावना होती है,साथ ही मनो मस्तिष्क में भविष्य की योजनाएं भी,शायद नाती पोतों के साथ खेलने खिलाने का जो समय अब तक नहीं मिला उसे प्राप्त कर लेने का हर्ष भी।
जीवन पथ में एक स्थान पर बिछड़ते हैं सभी पथिक
प्रेम उमड़ता रहता मन में,दुःख उससे भी कहीं अधिक
खट्टी मीठी यादों के होते हैं होठों पर स्मित
कितना किन्तु कठिन होता है
बिदाई का क्षण मार्मिक
शब्द नहीं निकलते अधरों सेभाव होते बस अस्फ़ुटित !
जीवन पथ में एक स्थान पर बिछड़ते हैं सभी पथिक
प्रेम उमड़ता रहता मन में,दुःख उससे भी कहीं अधिक
खट्टी मीठी यादों के होते हैं होठों पर स्मित
कितना किन्तु कठिन होता है
बिदाई का क्षण मार्मिक
शब्द नहीं निकलते अधरों सेभाव होते बस अस्फ़ुटित !
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