वसुंधरा !!
माँ तो केवल माँ होती है ,मेरी तेरी इसकी उसकी
सारी दुनिया के देशों की,इस धरती सी ,वसुंधरा सी
कष्ट भोगती रहती है हरदम,देती धन धान्य और जीवन
जन्म देते हुए संतान को ,स्वयं उसका भी होता “पुनर्जन्म”
“पति””संतान”की “परितृप्ति”पर ,उसकी थाली में आता “परसन”
पल पल जीती,कष्ट भोगती,देती रहती संतान को आनंद
परिवार की इसी “धूरि”पर,घूमे हर सदस्य का जीवन
पूरे “परिवार “की करे सुरक्षा ,अपनी छाँह का देती एक घर,
भाग्यवान वो जिनको मिलती ,यह दुर्लभ “मातृछाया”आजीवन !!
सारी दुनिया के देशों की,इस धरती सी ,वसुंधरा सी
कष्ट भोगती रहती है हरदम,देती धन धान्य और जीवन
जन्म देते हुए संतान को ,स्वयं उसका भी होता “पुनर्जन्म”
“पति””संतान”की “परितृप्ति”पर ,उसकी थाली में आता “परसन”
पल पल जीती,कष्ट भोगती,देती रहती संतान को आनंद
परिवार की इसी “धूरि”पर,घूमे हर सदस्य का जीवन
पूरे “परिवार “की करे सुरक्षा ,अपनी छाँह का देती एक घर,
भाग्यवान वो जिनको मिलती ,यह दुर्लभ “मातृछाया”आजीवन !!
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