ओ प्रभु जी ओ बप्पा जी
इतना कन्फ़्यूजिया दिए हैं आप
समझ ही नहीं आ रहा
क्या सोच रहे हैं आप
बरसात के हैं ये दिन
या गर्मियों के दिन हैं
या ठण्ड ही ठहर गई है
भरमा दिए हैं आप
कूलर को साफ़ कर लें
या सर्विसिंग हो ए सी की
क्या जाने हमको क्या क्या
समझ रहें हैं आप
ओढ़ें रहें रजाई ,या चादरें निकालें
प्रभु जी हमें बता दो
क्या कर रहे हैं आप
कैलेंडर को परखें या
आसमां को देखें
कड़का रहे हो बिजली
सूरज का मद्धम ताप
फसलों की ये तबाही
किसानो की आत्महत्या
पिघला रही है हमको
पत्थर बने हैं आप
महंगाई भी बढ़ेगी
सुरसा के मुख के जैसी
घबरा रहे हैं हम सब
मुस्कुरा रहे हैं आप ?
कारों के शीशे तोड़ें
ओले हैं या के गोले
आसमां से शामत
बरसा रहे हैं आप
पहले से मरी मरी सी
जनता जो सत्तर फीसदी
उल्लू बना रहे है
कभी कांग्रेस,कभी बीजेपी
कभी आप ?
सबके बाप ! बाप रे बाप !
इतना कन्फ़्यूजिया दिए हैं आप
समझ ही नहीं आ रहा
क्या सोच रहे हैं आप
बरसात के हैं ये दिन
या गर्मियों के दिन हैं
या ठण्ड ही ठहर गई है
भरमा दिए हैं आप
कूलर को साफ़ कर लें
या सर्विसिंग हो ए सी की
क्या जाने हमको क्या क्या
समझ रहें हैं आप
ओढ़ें रहें रजाई ,या चादरें निकालें
प्रभु जी हमें बता दो
क्या कर रहे हैं आप
कैलेंडर को परखें या
आसमां को देखें
कड़का रहे हो बिजली
सूरज का मद्धम ताप
फसलों की ये तबाही
किसानो की आत्महत्या
पिघला रही है हमको
पत्थर बने हैं आप
महंगाई भी बढ़ेगी
सुरसा के मुख के जैसी
घबरा रहे हैं हम सब
मुस्कुरा रहे हैं आप ?
कारों के शीशे तोड़ें
ओले हैं या के गोले
आसमां से शामत
बरसा रहे हैं आप
पहले से मरी मरी सी
जनता जो सत्तर फीसदी
उल्लू बना रहे है
कभी कांग्रेस,कभी बीजेपी
कभी आप ?
सबके बाप ! बाप रे बाप !
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