तब्दीली —————
पहले हुआ करती थी एक खुली किताब सी मैं,
जो कहती थी,यह मैं हूं ,ऐसी हूं मैं,
आईने की मानिंद साफ़,
बोलती हूं साफगो,
दो टूक,सच,सही,
समझा करती थी लोगों को अपना और हमदर्द,
बना लेती थी सभी को हमराज़,
धीरे धीरे टूटने लगा वहम,
लगा, कि लोग नहीं हैं वैसे,जैसे सोचती हूँ मैं,
मेरी तकलीफों से करते हैं दिलजोई,
और मेरे रास्तों में अड़ाते हैं रोड़े,
लगातार कोशिशें करते हैं,
मुझे ज़मीन पर गिरा देने की,
चेहरों पर मुस्कान लिये ,
पहले तो मुझे लगा गहरा सदमा,
फिर आहिस्ता आहिस्ता समझने लगी ,
जिंदगी का फ़ल्सफ़ा ,
अब मैं छुपाने लगी हूं सबसे,
अपने दुःख,अपनी खुशियां,
अपनी छोटी बड़ी परेशानियां,और अपने राज़,
हर शख्स की मानिंद,अब मैं भी हो गई हूं ,
बंद लिफाफे की तरह,
लोग सोचते ही रहते हैं,
क्या होगा मज़मून उस कागज़ का,
जो छुपा है लिफाफे के अंदर ,
लेकिन वो खो चुके हैं हक़ ,
इसे देखने,पढ़ने और जानने का!
शब्द अर्थ–तब्दीली –बदलाव,वहम–ग़लतफ़हमी,साफगो–साफसाफ,मज़मून–लिखी हुई तहरीर,मानिंद–तरह,दिलजोई–मनोरंजन,फ़ल्सफ़ा –दर्शन
पहले हुआ करती थी एक खुली किताब सी मैं,
जो कहती थी,यह मैं हूं ,ऐसी हूं मैं,
आईने की मानिंद साफ़,
बोलती हूं साफगो,
दो टूक,सच,सही,
समझा करती थी लोगों को अपना और हमदर्द,
बना लेती थी सभी को हमराज़,
धीरे धीरे टूटने लगा वहम,
लगा, कि लोग नहीं हैं वैसे,जैसे सोचती हूँ मैं,
मेरी तकलीफों से करते हैं दिलजोई,
और मेरे रास्तों में अड़ाते हैं रोड़े,
लगातार कोशिशें करते हैं,
मुझे ज़मीन पर गिरा देने की,
चेहरों पर मुस्कान लिये ,
पहले तो मुझे लगा गहरा सदमा,
फिर आहिस्ता आहिस्ता समझने लगी ,
जिंदगी का फ़ल्सफ़ा ,
अब मैं छुपाने लगी हूं सबसे,
अपने दुःख,अपनी खुशियां,
अपनी छोटी बड़ी परेशानियां,और अपने राज़,
हर शख्स की मानिंद,अब मैं भी हो गई हूं ,
बंद लिफाफे की तरह,
लोग सोचते ही रहते हैं,
क्या होगा मज़मून उस कागज़ का,
जो छुपा है लिफाफे के अंदर ,
लेकिन वो खो चुके हैं हक़ ,
इसे देखने,पढ़ने और जानने का!
शब्द अर्थ–तब्दीली –बदलाव,वहम–ग़लतफ़हमी,साफगो–साफसाफ,मज़मून–लिखी हुई तहरीर,मानिंद–तरह,दिलजोई–मनोरंजन,फ़ल्सफ़ा –दर्शन
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