तलाश—-
ढूंढा किये खुद को गली गली में हम,
कभी इस गली में और कभी उस गली में हम,
ना मिला कोई निशां ना ही कोई सुराग,
आखिर किस कदर गुमनाम हो गए थे हम,
बेताबियों से घूमते भटकते रहे थे हम,
ना छूटा कोई कूचा ,दर भूले ना कोई हम,
मशक्कतें भीं कीं कई,ना खाया किसी ने रहम,
इबादत में खुदा की सर झुकाए रहे थे हम,
कितने मायूस कितने ग़मगीन हो चुके थे हम,
बेदिली से जिंदगी जिए जा रहे थे हम,
इक दिन पता मिला हमें ,कहाँ छुपे थे हम,
अपनी खुदी को भूल कर ढूंढा किये जहाँ,
खुद अपने भीतर की तहों में छुपे हुए थे हम!
शब्द अर्थ–खुदी–स्वयं,सुराग–चिन्ह
ढूंढा किये खुद को गली गली में हम,
कभी इस गली में और कभी उस गली में हम,
ना मिला कोई निशां ना ही कोई सुराग,
आखिर किस कदर गुमनाम हो गए थे हम,
बेताबियों से घूमते भटकते रहे थे हम,
ना छूटा कोई कूचा ,दर भूले ना कोई हम,
मशक्कतें भीं कीं कई,ना खाया किसी ने रहम,
इबादत में खुदा की सर झुकाए रहे थे हम,
कितने मायूस कितने ग़मगीन हो चुके थे हम,
बेदिली से जिंदगी जिए जा रहे थे हम,
इक दिन पता मिला हमें ,कहाँ छुपे थे हम,
अपनी खुदी को भूल कर ढूंढा किये जहाँ,
खुद अपने भीतर की तहों में छुपे हुए थे हम!
शब्द अर्थ–खुदी–स्वयं,सुराग–चिन्ह
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