ठोकर——
आज फिर दिल भर आया,
आज फिर आंखें डबडबाई हैं,
आज फिर उदासी ने आ घेरा,
वक़्त ने की बेवफाई है।
कई बार खाई ठोकर,
समझने में दुनिया के उसूल,
न समझी नासमझी में,
जिंदगी की शाम भी हो आई है।
यह मत कहो वह मत कहो,
इसे मत कहो उसे मत कहो,
शातिर दुनिया में जीने के लिये,
यही कानून यही खुदा की खुदाई है।
अलग अलग गिरहों में,
अलग अलग राज़,
खुल गया तो समझो,
तुम पर गिरी गाज।
हर जगह बिछी मानो,
शतरंज की एक बिसात,
एक गलत चाल और,
बाजी पिटी पिटाई है।
शैतानी दिमागों की बस्ती में,
हूं बिलकुल अलग अलहदा,
मेरे लिये यह सारी दुनिया,
कल भी थी आज भी पराई है।
शब्द अर्थ–शातिर–चालाक,गिरह–गाँठ,बिसात–बाज़ी ,गाज गिरना–आक्षेप लगना
आज फिर दिल भर आया,
आज फिर आंखें डबडबाई हैं,
आज फिर उदासी ने आ घेरा,
वक़्त ने की बेवफाई है।
कई बार खाई ठोकर,
समझने में दुनिया के उसूल,
न समझी नासमझी में,
जिंदगी की शाम भी हो आई है।
यह मत कहो वह मत कहो,
इसे मत कहो उसे मत कहो,
शातिर दुनिया में जीने के लिये,
यही कानून यही खुदा की खुदाई है।
अलग अलग गिरहों में,
अलग अलग राज़,
खुल गया तो समझो,
तुम पर गिरी गाज।
हर जगह बिछी मानो,
शतरंज की एक बिसात,
एक गलत चाल और,
बाजी पिटी पिटाई है।
शैतानी दिमागों की बस्ती में,
हूं बिलकुल अलग अलहदा,
मेरे लिये यह सारी दुनिया,
कल भी थी आज भी पराई है।
शब्द अर्थ–शातिर–चालाक,गिरह–गाँठ,बिसात–बाज़ी ,गाज गिरना–आक्षेप लगना
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