मुमकिन नही कि हालात की गुत्थी सुलझे,
एह्ले दानिश ने हमे सोच के उलझाया है!
सरे तस्लीम खम है जो मिजाजे यार मे आये!
जिन्द्गी जाम ए ऐश है लेकिन फायदा क्या अगर मुदाम नही!
या रब तेरी रह्मत से मायूस नही,लेकिन तेरी रहमत के ताखीर को क्या कहिये !
या खुदा आशिक को जर दे या जेरे जमीन कर दे या फिर माशूक को पर दे या पर्दा नशीन कर दे!
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