गरीबी -- गरीबी लज्जा नहीं है लेकिन गरीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है --कहावत
निर्धनता से मनुष्य को लज्जा होती है लज्जा से पराक्रम नष्ट हो जाता है अपमान से दुःख मिलता है दुःख से शोक होता है और फिर बुद्धि नष्ट हो जाती है इस प्रकार निर्धनता आपत्तियों का घर है --हितोपदेश
जो गरीबों पर दया करता है वह अपने कार्र्य से ईश्वर को ऋणी बनता है--गाँधी
उस मनुष्यसे अधिक गरीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है --कहावत
गलती --गलती करना मनुष्य का स्वभाव है। की हुई गलती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना की वह गलती फिर से न होने पाए मर्दानगी है --गाँधी जो मान गया की उससे गलती हो गई और उसे ठीक नहीं करता वह एक और गलती कर रहा है --कन्फ्यूशियस
बहुत सी तथा बड़ी गलतियां किये बिना कोई व्यक्ति महान नहीं बनता --ग्लैडस्टोन
अगर तुम गलतियों को रोकने के लिए दरवाजे बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर रह जाएगा --टैगोर
गलती यद्यपि स्वयं अंधी है तथापि वह ऐसी संतान उत्पन्न करती है जो देख सकती है --कहावत
गुण--गुणों से ही मनुष्य महान होता है ऊँचे आसमान पर बैठने से नहीं महल के ऊँचे शिखर पर बैठने से कौआ गरूड़ नहीं बनता --चाणक्य
सदगुण शीलता मुंसिफ मिजाज़ और अक्लमंद आदमी जब तक ख़ामोशी नहीं होती --शेख सादी
कस्तूरी को अपनी मौजूदगी कसम खाकर सिद्ध नहीं करनी पड़ती --अज्ञात
रूप की पहुँच आँखों तक है गुण आत्मा को जीतते हैं --पोप
बड़े बड़ाई ना करे ,बड़े ना बोले बोल ,रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरा मोल
गुरु --- कबीरा ते नर अंध हैं ,गुरु को मानत और ,हरी रूठे गुरु ठौर है ,गुरु रूठे नहीं ठौर --कबीर
सच्चा गुरु अनुभव है --विवेकानंद
शिष्य के ज्ञान पर सही करना यही गुरु का काम है बाकी के लिए शिष्य स्वावलम्बी है --विनोबा
घृणा --घृणा पाप से करो पापी से नहीं
जो सच्चाई पर निर्भर हैं वह किसी से घृणा नहीं करता --नेपोलियन
घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं --कहावत
घृणा हृदय का पागलपन है --बायरन
घृणा घृणा से काम नहीं होती प्रेम से होती है --बुद्ध
निर्धनता से मनुष्य को लज्जा होती है लज्जा से पराक्रम नष्ट हो जाता है अपमान से दुःख मिलता है दुःख से शोक होता है और फिर बुद्धि नष्ट हो जाती है इस प्रकार निर्धनता आपत्तियों का घर है --हितोपदेश
जो गरीबों पर दया करता है वह अपने कार्र्य से ईश्वर को ऋणी बनता है--गाँधी
उस मनुष्यसे अधिक गरीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है --कहावत
गलती --गलती करना मनुष्य का स्वभाव है। की हुई गलती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना की वह गलती फिर से न होने पाए मर्दानगी है --गाँधी जो मान गया की उससे गलती हो गई और उसे ठीक नहीं करता वह एक और गलती कर रहा है --कन्फ्यूशियस
बहुत सी तथा बड़ी गलतियां किये बिना कोई व्यक्ति महान नहीं बनता --ग्लैडस्टोन
अगर तुम गलतियों को रोकने के लिए दरवाजे बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर रह जाएगा --टैगोर
गलती यद्यपि स्वयं अंधी है तथापि वह ऐसी संतान उत्पन्न करती है जो देख सकती है --कहावत
गुण--गुणों से ही मनुष्य महान होता है ऊँचे आसमान पर बैठने से नहीं महल के ऊँचे शिखर पर बैठने से कौआ गरूड़ नहीं बनता --चाणक्य
सदगुण शीलता मुंसिफ मिजाज़ और अक्लमंद आदमी जब तक ख़ामोशी नहीं होती --शेख सादी
कस्तूरी को अपनी मौजूदगी कसम खाकर सिद्ध नहीं करनी पड़ती --अज्ञात
रूप की पहुँच आँखों तक है गुण आत्मा को जीतते हैं --पोप
बड़े बड़ाई ना करे ,बड़े ना बोले बोल ,रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरा मोल
गुरु --- कबीरा ते नर अंध हैं ,गुरु को मानत और ,हरी रूठे गुरु ठौर है ,गुरु रूठे नहीं ठौर --कबीर
सच्चा गुरु अनुभव है --विवेकानंद
शिष्य के ज्ञान पर सही करना यही गुरु का काम है बाकी के लिए शिष्य स्वावलम्बी है --विनोबा
घृणा --घृणा पाप से करो पापी से नहीं
जो सच्चाई पर निर्भर हैं वह किसी से घृणा नहीं करता --नेपोलियन
घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं --कहावत
घृणा हृदय का पागलपन है --बायरन
घृणा घृणा से काम नहीं होती प्रेम से होती है --बुद्ध
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