शोर मचता है क्यूं दरिया
समंदर खामोश रहता है
गरजता है क्यूं बादल
आसमान खामोश रहता है
गुंचे और बूटे हिला देती है हवा
बड़े दरख़्त खामोश खड़े रहते हैं
आंधियां उजाड़ देतीं हैं पंछी का नशेमन ,
महल खामोश खड़े रहते हैं ,
रोता चिल्लाता है मुश्किलों में मज़लूम
ताक़तवर खामोश खड़ा रहता है
झूठ और फरेब होता है शीरीं में घुला
सच हमेशा कड़वा ही क्यूं होता है !!
नशेमन:घोंसला ,गुंचे और बूटे :छोटे पौधे ,दरख़्त :पेड़ ,फरेब:धोखा,शीरीं:चाशनी ,मज़लूम:जिसपर ज़ुल्म होता हो
समंदर खामोश रहता है
गरजता है क्यूं बादल
आसमान खामोश रहता है
गुंचे और बूटे हिला देती है हवा
बड़े दरख़्त खामोश खड़े रहते हैं
आंधियां उजाड़ देतीं हैं पंछी का नशेमन ,
महल खामोश खड़े रहते हैं ,
रोता चिल्लाता है मुश्किलों में मज़लूम
ताक़तवर खामोश खड़ा रहता है
झूठ और फरेब होता है शीरीं में घुला
सच हमेशा कड़वा ही क्यूं होता है !!
नशेमन:घोंसला ,गुंचे और बूटे :छोटे पौधे ,दरख़्त :पेड़ ,फरेब:धोखा,शीरीं:चाशनी ,मज़लूम:जिसपर ज़ुल्म होता हो
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