इश्क ------
छा जाता है इश्क
किसी धुआंधार चश्मे की तरह पूरे वजूद पर
ढक लेता है उसे पूरा का पूरा
अपने आगोश में
इस धुंए के पार उसे
कुछ दिखाई नहीं देता
न ज़माना न ज़माने के रिवाज़
न बंदिशें टूटने का एहसास
उसकी हर सांस में बसा होता है इश्क
मेहबूब की याद ,उसीका तसव्वुर
होठों पे उसका नाम
आँखों में उसीका मंज़र
इश्क की दौलत से
होता है मालामाल
इस बात से बेफिक्र
कि कपड़ें हैं ज़ार ज़ार
दिल में चाहे हो दर्द
आँखों में होता है प्यार का समंदर
समझता है खुद को मुकद्दर का सिकंदर
कभी कभी इश्क उठाता है बवंडर
चली जाती हैं मासूम जानें
रह जाती हैं यादों की कसक
जो चुभती रहती हैं नश्तर
गर बदल जाती है फ़िज़ा
आ जाती है कज़ा
बेगुनाह पा जाते हैं सजा
बीच राह दरमियान सफर
ये मोहब्बत ! ये मोहब्बत करनेवाले !
पीते हैं ज़माने का ज़हर
इनके होते अपने गम
और होती हैं अपनी ही खुशियाँ
कोई झाँक नहीं पाता है
इनकी है अपनी ही दुनिया !----निरुपमा पेरलेकर सिन्हा
छा जाता है इश्क
किसी धुआंधार चश्मे की तरह पूरे वजूद पर
ढक लेता है उसे पूरा का पूरा
अपने आगोश में
इस धुंए के पार उसे
कुछ दिखाई नहीं देता
न ज़माना न ज़माने के रिवाज़
न बंदिशें टूटने का एहसास
उसकी हर सांस में बसा होता है इश्क
मेहबूब की याद ,उसीका तसव्वुर
होठों पे उसका नाम
आँखों में उसीका मंज़र
इश्क की दौलत से
होता है मालामाल
इस बात से बेफिक्र
कि कपड़ें हैं ज़ार ज़ार
दिल में चाहे हो दर्द
आँखों में होता है प्यार का समंदर
समझता है खुद को मुकद्दर का सिकंदर
कभी कभी इश्क उठाता है बवंडर
चली जाती हैं मासूम जानें
रह जाती हैं यादों की कसक
जो चुभती रहती हैं नश्तर
गर बदल जाती है फ़िज़ा
आ जाती है कज़ा
बेगुनाह पा जाते हैं सजा
बीच राह दरमियान सफर
ये मोहब्बत ! ये मोहब्बत करनेवाले !
पीते हैं ज़माने का ज़हर
इनके होते अपने गम
और होती हैं अपनी ही खुशियाँ
कोई झाँक नहीं पाता है
इनकी है अपनी ही दुनिया !----निरुपमा पेरलेकर सिन्हा
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