लालू की रेल ---{ लालू जी के रेल मंत्री बनने के दौरान लिखी कविता }-----
ख़ुशी मनाओ खुश हो जाओ
लालू जी को मिल गयी रेल
जरूरत नहीं टिकट लेने की
भैया अब कर लो मुफ्त की सैर
अजब ढंग ही गजब धा गया
भेद समझ ना हमको आया
इतने लोकप्रिय हैं लालू
बाहर हों या अंदर जेल
लालू का दल हो गया पास
बाकि सारे हो गए फेल
सारे के सारे दिए बुझ गए
लालटेन में भरा है तेल
राबड़ी बोली पत्रकार से
यहाँ भी हम और वहां भी हम हैं
अब तो सारा देश हमारा
खेलेंगे सत्ता का खेल
बुद्धिमान वोटर यह सोचे
कैसा यह जनतांत्रिक मेल
पहुँच गया सिहांसन तक भी
जो कर पाया ठेलम ठेल
अगड़ा पिछड़ा दांया बांया
सबका खिचड़ा है पचमेल
कब तक देखें चल पाता है
रोज करें ये धक्कम पेल
मंत्रालय पाने के झगड़े
मैं यह लूँगा ,मैं वह लूँगा
काम करने को लालायित ?
या ढूंढे धन की रेलमपेल !
ख़ुशी मनाओ खुश हो जाओ
लालू जी को मिल गयी रेल
जरूरत नहीं टिकट लेने की
भैया अब कर लो मुफ्त की सैर
अजब ढंग ही गजब धा गया
भेद समझ ना हमको आया
इतने लोकप्रिय हैं लालू
बाहर हों या अंदर जेल
लालू का दल हो गया पास
बाकि सारे हो गए फेल
सारे के सारे दिए बुझ गए
लालटेन में भरा है तेल
राबड़ी बोली पत्रकार से
यहाँ भी हम और वहां भी हम हैं
अब तो सारा देश हमारा
खेलेंगे सत्ता का खेल
बुद्धिमान वोटर यह सोचे
कैसा यह जनतांत्रिक मेल
पहुँच गया सिहांसन तक भी
जो कर पाया ठेलम ठेल
अगड़ा पिछड़ा दांया बांया
सबका खिचड़ा है पचमेल
कब तक देखें चल पाता है
रोज करें ये धक्कम पेल
मंत्रालय पाने के झगड़े
मैं यह लूँगा ,मैं वह लूँगा
काम करने को लालायित ?
या ढूंढे धन की रेलमपेल !
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