वैसे तो क्लास के सभी छात्र कमलेश्वर के मित्र थे ,कुल दस लड़के थे जिनके चारों पेपर्स के सब्जेक्ट्स एक से थे। कैलाश चौहान कमलेश्वर के विशेष समीप था। ये दोनों स्कूल से ही एक दूसरे के समीप रहे। कमलेश्वर पढ़ाई में बचपन से ही अग्रणी रहा और सदैव प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास करता था, सभी छात्र इसी कारण उसे सम्मान करते थे। और सबसे बड़ी वजह उसके पिता की प्रतिष्ठा थी।
आज भी कमलेश्वर और कैलाश केंटीन में बैठे थे ,दोनों ने साथ बैठ कर लंच किया और चाय पी। अंतिम पीरियड के बाद सभी में से सिंधु वर्गीस द्वारा चयनित छात्रों को छोड़ कर बाकी के घर की ओर चल दिए। छात्राएं सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभागी थीं अतः सभी रूक गईं थीं।
महाविद्यालय के पीछे के हिस्से में बड़ा सा असेंबली हॉल था. वहीँ सभी एकत्रित हुए थे। आज केवल आइटम्स के नाम ,उसके प्रतिभागी के नाम , फाइनल किये गए। सभी से विचार विनिमय करने के बाद ऐतिहासिक नाटक सम्राट अशोक एवं उनके पुत्र कुणाल ,पत्नी तिष्यरक्षिता पर आधारित था और इस नाटक में इस सौतेली माँ के द्वारा सौतेले पुत्र पर किये कठोर व्यवहार का वर्णन किया गया था।
सिंधु वर्गीस के साथ समाजशास्त्र की व्याख्याता मिस आशा शर्मा भी थीं। वे दोनों ही आपस मेंधीरे धीरे बातें रहीं थीं व पेपर पर कुछ नोट भी करती जा रहीं थीं। दर असल वे किसे कौनसा रोल दिया जाय इसपर चर्चा कर रहीं थीं।
कमलेश्वर नहीं दिख रहा ? सिंधु वर्गीस ने पूछा
"मैडम वो तो लाइब्रेरी में पढ़ रहा है। किसी छात्र ने कहा।
"जाओ जाकर बुला लाओ। "
"मैडम वो कभी स्टेज पर काम नहीं करता "
"तुम बुला कर लाओ "
दस मिनिट में कमलेश्वर भी वहां पहुंचा "
वह आकर शालीनता से सिंधु वर्गीस मैडम के पास आ कर खड़ा हो गया।
अब सभी छात्रों में वह सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व वाला दिख रहा था।
सिंधु वर्गीस ने पूछा ,"एक छोटा सा रोल करोगे ?
कमलेश्वर छुपी नज़रों से अंजुरी की ओर देख रहा था ,वह आँखों ही आँखों से उसे हाँ कह देने को कह रही थी।
"लेकिन मैडम मैंने आज तक कभी स्टेज पर काम नहीं किया "
सिंधु वर्गीस मैडम ने कहा ," बिलकुल छोटा सा रोल है ,अच्छी तरह सोच कर कल बताना।
जी मैडम "
लगभग एक घंटा बीत चूका था। शेष कार्य अगले दिन के लिए करने का निश्चय कर सभी छात्रों
छात्राओं को घर जाने की अनुमति दे दी थी। अभी कार्यक्रम की तारीख एक माह दूर थी। ---क्रमशः
आज भी कमलेश्वर और कैलाश केंटीन में बैठे थे ,दोनों ने साथ बैठ कर लंच किया और चाय पी। अंतिम पीरियड के बाद सभी में से सिंधु वर्गीस द्वारा चयनित छात्रों को छोड़ कर बाकी के घर की ओर चल दिए। छात्राएं सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभागी थीं अतः सभी रूक गईं थीं।
महाविद्यालय के पीछे के हिस्से में बड़ा सा असेंबली हॉल था. वहीँ सभी एकत्रित हुए थे। आज केवल आइटम्स के नाम ,उसके प्रतिभागी के नाम , फाइनल किये गए। सभी से विचार विनिमय करने के बाद ऐतिहासिक नाटक सम्राट अशोक एवं उनके पुत्र कुणाल ,पत्नी तिष्यरक्षिता पर आधारित था और इस नाटक में इस सौतेली माँ के द्वारा सौतेले पुत्र पर किये कठोर व्यवहार का वर्णन किया गया था।
सिंधु वर्गीस के साथ समाजशास्त्र की व्याख्याता मिस आशा शर्मा भी थीं। वे दोनों ही आपस मेंधीरे धीरे बातें रहीं थीं व पेपर पर कुछ नोट भी करती जा रहीं थीं। दर असल वे किसे कौनसा रोल दिया जाय इसपर चर्चा कर रहीं थीं।
कमलेश्वर नहीं दिख रहा ? सिंधु वर्गीस ने पूछा
"मैडम वो तो लाइब्रेरी में पढ़ रहा है। किसी छात्र ने कहा।
"जाओ जाकर बुला लाओ। "
"मैडम वो कभी स्टेज पर काम नहीं करता "
"तुम बुला कर लाओ "
दस मिनिट में कमलेश्वर भी वहां पहुंचा "
वह आकर शालीनता से सिंधु वर्गीस मैडम के पास आ कर खड़ा हो गया।
अब सभी छात्रों में वह सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व वाला दिख रहा था।
सिंधु वर्गीस ने पूछा ,"एक छोटा सा रोल करोगे ?
कमलेश्वर छुपी नज़रों से अंजुरी की ओर देख रहा था ,वह आँखों ही आँखों से उसे हाँ कह देने को कह रही थी।
"लेकिन मैडम मैंने आज तक कभी स्टेज पर काम नहीं किया "
सिंधु वर्गीस मैडम ने कहा ," बिलकुल छोटा सा रोल है ,अच्छी तरह सोच कर कल बताना।
जी मैडम "
लगभग एक घंटा बीत चूका था। शेष कार्य अगले दिन के लिए करने का निश्चय कर सभी छात्रों
छात्राओं को घर जाने की अनुमति दे दी थी। अभी कार्यक्रम की तारीख एक माह दूर थी। ---क्रमशः
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