मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

Dharavahik Upanyas ---Anhoni--{23}

इसी तरह की व्यस्तता में वह तारिख भी समीप आ गई जिस दिन कार्यक्रम होना था।  21 जनवरी को असेंबली हॉल में सभी छात्र छात्राओं को दो पीरियड्स के बाद ही पहुँचने का निर्देश नोटिस बोर्ड पर लगा दिया गया था।  कॉलेज के सभी छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए प्रिंसिपल सर ने कहा ," हम सभी एक परिवार हैं और कल के समारोह को सफल बनाने की ज़िम्मेदारी हम सभी की है और इसीलिए महाविद्यालय के हर छात्र को इसमें सहभागी होना है और इसमें सभी का कार्य सामान रूप से महत्वपूर्ण है ,चाहे वो स्टेज पर कार्य करने वाले कलाकार हों ,चाहे उनकी तैयारी करवाने  वाले प्राध्यापक ,स्वागत सत्कार करने वाले अन्य छात्र छात्राएं ,या चाहे  अतिथियों के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाने वाले रसोइये। 
प्रिंसिपल सर के भाषण से सभी प्रभावित भी हुए और पूरे जोश में भी आ गए। इसके पश्चात्  सम्बंधित प्राध्यपकों ने छात्र छात्राओं की अपनी अपनी टीम के नाम पुकारे जो उन्हें पहले ही बताये जा चुके थे।  उन्हें अलग अलग रंगों के BROOCH दिया गए जिन्हे उन्हें अपने कमीज या कुर्ती में  ऊपर दायीं ओर टांक लेना था जिससे वे दूर से ही पहचाने जा सकें कि वे किस ग्रुप के हैं। सभी ने अपने अपने प्राध्यपको से अपनी अपनी एकल तथा सामूहिक ज़िम्मेदारी समझ ली थी। कल सुबह सभी को लगभग ९ बजे ही पहुँचने के निर्देश दे दिए गए थे।  स्टेज बनाने वाले आज ही आ चुके थे और बनाने में लगे हुए थे। बाकि की सजावट का सामान कल सुबह ही तैयार करके लगाना था। सभी अपने अपने कार्यक्रम की रुरेखा नोट करके घर चले गए। आज रिहर्सल भी अंतिम बार सिंधु वर्गीस मैडम संतुष्ट थीं। 
अंजुरी और कमलेश्वर भी एक दूसरे से विदा लेकर अपने अपने घर चले गए। उत्सुकता और उत्तेजना में कइयों को देर तक नींद नहीं आयी थी उस रात। ---क्रमशः -------

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