अगला दिन सबके लिए ही उत्कंठा और नई ऊर्जा लिए आया। सभी अपना सामान जो भी मंगवाया गया था ,लेकर महाविद्यालय पहुंचे। दिन का लंच वे अपने अपने घर से ही लाये थे हल्का रिफ्रेशमेंट उन्हें वहीं मिलनेवाला था। महविद्यालय पहुँचते ही सभी अपने अपने कामों में लग गए। सजावट करने वाले झंडी पतंगियां ,गुब्बारे और फूलों से सजावट करने लगे। मेन गेट पर एक लकड़ी के तख्ते पर वार्षिक महोत्सव ,लिखा हुआ था। किराये की जाजम और बड़ा सा टेंट भी बारात घर से लाया गया था। सभी क्लास रूम्स से चेयर्स लेकर स्टेज के सामने सजा दी गईं प्रिंसिपल के ऑफिस की अपेक्षाकृत आरामदेह गद्देदार कुर्सियां विशिष्ठ मुख्य अतिथियों के लिए लगा दीं गईं थीं । उस दौर में टेंट हाउस टाइप का फर्नीचर उपलब्ध करने वाला कोई व्यवसाय नहीं था। महाविद्यालय के चपरासी ने सहर्ष पर्दा उठाने और गिराने का कार्य अपने हाथ में ले लिया था।
असेंबली हाल से निकट एक और बिल्डिंग थी जो दो हिस्सों में थी। एक ओर बहुत सी टेबलें जोड़ कर कई कुर्सियां लगा कर अतिविशिष्ट अतिथियों को भोजन करने योग्य बनाया गया। बारात घर से ही क्राकरी भी लाई गई है। बाकी लोगों के लिए तो दोने पत्तल और टाट पट्टियों की व्यवस्था पहले ही की जा चुकी थी।
पांच बजे से ही स्टेज के कलाकार ग्रीन रूम में इकट्ठे हो गए। स्टेज के पिछले भाग में ही अस्थायी रूप से ग्रीन रूम बनाया गया था। आशा शर्मा मैडम सभी कलाकारों को ड्रेस पहनने में मदद कर रहीं थीं और सिंधु वर्गीस मैडम उनके मेक-अप ,हेयर स्टाइल ,दाढ़ी इत्यादि लगाने में मदद कर रहीं थीं।
प्रोफेसर दिनेश प्रधान की आवाज़ निरंतर माइक पर गूँज रही थी वे किसी को पुकारने ,निर्देश देने और सन्देश पहुँचाने तक के लिए माइक का प्रयोग बखूबी कर रहे थे।
साढ़े छह बज चुके थे ,अब हर व्यक्ति ही स्वयं को रोमांचित महसूस कर रहा था। ---क्रमशः ----
असेंबली हाल से निकट एक और बिल्डिंग थी जो दो हिस्सों में थी। एक ओर बहुत सी टेबलें जोड़ कर कई कुर्सियां लगा कर अतिविशिष्ट अतिथियों को भोजन करने योग्य बनाया गया। बारात घर से ही क्राकरी भी लाई गई है। बाकी लोगों के लिए तो दोने पत्तल और टाट पट्टियों की व्यवस्था पहले ही की जा चुकी थी।
पांच बजे से ही स्टेज के कलाकार ग्रीन रूम में इकट्ठे हो गए। स्टेज के पिछले भाग में ही अस्थायी रूप से ग्रीन रूम बनाया गया था। आशा शर्मा मैडम सभी कलाकारों को ड्रेस पहनने में मदद कर रहीं थीं और सिंधु वर्गीस मैडम उनके मेक-अप ,हेयर स्टाइल ,दाढ़ी इत्यादि लगाने में मदद कर रहीं थीं।
प्रोफेसर दिनेश प्रधान की आवाज़ निरंतर माइक पर गूँज रही थी वे किसी को पुकारने ,निर्देश देने और सन्देश पहुँचाने तक के लिए माइक का प्रयोग बखूबी कर रहे थे।
साढ़े छह बज चुके थे ,अब हर व्यक्ति ही स्वयं को रोमांचित महसूस कर रहा था। ---क्रमशः ----
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