अंजुरी ने कमलेश्वर को आँखों से ही बता दिया कि वो उससे मिलना चाहती है। घंटी बजते ही सारे तेजी से निकले ,अंजुरी वाशरूम की ओर जो पीछे वाली बिल्डिंग के साइड में बने हुए थे ,{एक प्रॉपर बिल्डिंग के रूप में } कमल ऐसे ही लाइब्रेरी तक जा आया। वहां ताला लटका हुआ था। सभी जा चुके थे ,अंजुरी तेजी से झपटती हुई उसे हाथ से इशारा करती निकल गई। दो मिनिट बाद कमल भी निकला ,यह एक अच्छी बात थी कि अपने कम बोलने के स्वभाव के कारण उसका किसी से भी बहुत गप्पे मारने या साथ आने जाने का कोई सिलसिला ही नहीं था ,जो इस नए सिलसिले के लिए बहुत बेहतर था।
अंजुरी सीढ़ियां चढ़ रही थी। कमल ने साइकिल लॉक की और वह भी सीढ़ी चढ़ने लगा। दोनों की थकान जाने कहाँ गायब हो गई थी। दोनों एक दूसरे के दिल में इस तरह रच बस गए थे कि उनके हर दिन की पहली किरण से लेकर रात को नींद आने तक एक दूसरे की मधुर कल्पना आल्हादित करती रहती थी। पहले कमलेश्वर डरा डरा सा रहता था अन्जूरी की इतनी स्वछंदता उसे भयभीत करती थी। किन्तु अब वह स्वयं भी आतुर रहता ,अवसर चाहता ,अंजुरी से लम्बी बातें करना ,उसकी आँखों में झांकना चाहता था ,उससे आगे क्या होगा ? इस प्रश्न का उत्तर उसके साथ मिल कर ढूंढना चाहता था।
अपनी पूर्व निर्धारित जगह पर पहुँच कर दोनों छाँह में बैठ गए। कल के कार्यक्रम की बहुत सी बातें तो महाविद्यालय में सामूहिक रूप से हो चुकी थीं। दोनों मौन थे।
कमल ने कहा " अंजू ,तुम्हे नहीं पता मैं बहुत ही रूढ़िवादी परिवार से हूँ। वह अपनी माता और पिता के विवाह के बारे में बताने लगा। उसने यह भी कहा कि वह स्वयं कठोर जातिबंधन में बंधा हुआ है।"
अंजुरी अब उदास हो गई। उसे यह ज्ञात हो गया था कि कमलेश्वर उच्च श्रेणी का राजपूत युवक है और उसका परिवार पिछड़े वर्ग की श्रेणी में संविधान द्वारा उल्लेखित है।
दोनों पांच मिनिट तक मौन बैठे रहे उन्हें कुछ सूझा ही नहीं। कमलेश्वर ने कहा " हमें इस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है। "
अंजूरी मौन रही उसकी उदासी और गहरी हो गई। वह एक शब्द भी ना बोल पाई और उठ खड़ी हुई। कमलेश्वर भी उसके पीछे उठ गया। दोनों सीढ़ियों से उतरने लगे। अंजुरी तेजी से आगे बढ़ती हुई झाड़ियों में ग़ुम हो गई ,बिना कुछ बोले ,कमल भी लौट पड़ा घर की ओर। --क्रमशः -----
अंजुरी सीढ़ियां चढ़ रही थी। कमल ने साइकिल लॉक की और वह भी सीढ़ी चढ़ने लगा। दोनों की थकान जाने कहाँ गायब हो गई थी। दोनों एक दूसरे के दिल में इस तरह रच बस गए थे कि उनके हर दिन की पहली किरण से लेकर रात को नींद आने तक एक दूसरे की मधुर कल्पना आल्हादित करती रहती थी। पहले कमलेश्वर डरा डरा सा रहता था अन्जूरी की इतनी स्वछंदता उसे भयभीत करती थी। किन्तु अब वह स्वयं भी आतुर रहता ,अवसर चाहता ,अंजुरी से लम्बी बातें करना ,उसकी आँखों में झांकना चाहता था ,उससे आगे क्या होगा ? इस प्रश्न का उत्तर उसके साथ मिल कर ढूंढना चाहता था।
अपनी पूर्व निर्धारित जगह पर पहुँच कर दोनों छाँह में बैठ गए। कल के कार्यक्रम की बहुत सी बातें तो महाविद्यालय में सामूहिक रूप से हो चुकी थीं। दोनों मौन थे।
कमल ने कहा " अंजू ,तुम्हे नहीं पता मैं बहुत ही रूढ़िवादी परिवार से हूँ। वह अपनी माता और पिता के विवाह के बारे में बताने लगा। उसने यह भी कहा कि वह स्वयं कठोर जातिबंधन में बंधा हुआ है।"
अंजुरी अब उदास हो गई। उसे यह ज्ञात हो गया था कि कमलेश्वर उच्च श्रेणी का राजपूत युवक है और उसका परिवार पिछड़े वर्ग की श्रेणी में संविधान द्वारा उल्लेखित है।
दोनों पांच मिनिट तक मौन बैठे रहे उन्हें कुछ सूझा ही नहीं। कमलेश्वर ने कहा " हमें इस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है। "
अंजूरी मौन रही उसकी उदासी और गहरी हो गई। वह एक शब्द भी ना बोल पाई और उठ खड़ी हुई। कमलेश्वर भी उसके पीछे उठ गया। दोनों सीढ़ियों से उतरने लगे। अंजुरी तेजी से आगे बढ़ती हुई झाड़ियों में ग़ुम हो गई ,बिना कुछ बोले ,कमल भी लौट पड़ा घर की ओर। --क्रमशः -----
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें