मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

Dharavahik Upanyas--Anhoni ---{33}

  वह रात बहुत बोझिल ही रही अंजुरी और कमलेश्वर दोनों के ही लिए। दूसरा दिन रविवार था ,और भी बोझिल सा गुज़रा। दोनों ही सोचते रहे कि कितनी बड़ी विडम्बना है कि दो विशुद्ध प्रेम करने वाले मिल नहीं सकते क्यूंकि समाज के नियम और परम्पराएं उन्हें उसकी अनुमति नहीं देती। महज इसलिए कि वे अलग अलग जाति में जन्म लिए हुए हैं ,वे एक दूसरे से मिल नहीं सकेंगे। वे पहाड़ से उस दिन को और कष्टकारी उस रात को बहुत मुश्किल से ही काट पाए। दूसरे दिन जब  महाविद्यालय में दोनों ने एक दूसरे को देखा तो दोनों ही को एक दूसरे के प्रति सहानुभूति हो आयी ,दोनों ही एक दूसरे के चेहरे पर उदासी नहीं देख पा रहे थे। दूसरे दिन 26 जनवरी थी और अंजुरी को अपना स्पीच तैयार करनी थी ,लेकिन उसने अभी तक कुछ भी नहीं लिखा था। चारों पीरियड्स इसी तरह अनमने से बीते और छुट्टी हो गई ,उसकी नज़रें कमल से टकराई और उसे आश्चर्य हुआ कि कमल ने उसे टेकरी पर चलने का इशारा किया ,अंजुरी ने स्वीकृति में सर हिलाया। सब के निकलते ही अंजुरी झपटती हुई सी सड़क पार करती हुई सामने छुपी झाड़ियों के बीच से टेकरी की पगडण्डी पर जा पहुंची। कमल भी इधर उधर देख कर जा पहुंचा। दोनों ही तेजी से सीढ़ी चढ़ते हुए अपनी चिर परिचित जगह पर जा पहुंचे। दोनों ही उद्विग्न थे। एक दूसरे से लिपट गए। कमल  फुसफुसा रहा था ,मैं तुम्हे नहीं खो सकता अंजू ,मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता। अंजुरी ने धीरे से स्वयं को छुड़ा लिया। वह बैठ गई ,कमल भी सामान्य हो गया था ,वह भी बैठ गया। कमल ने ही बोलना आरम्भ किया ,"मैंने बहुत सोचा इन दो दिनों में ,और मुझे लगा कि ,हम जैसे पढ़े लिखे लोग भी अगर इन जाती बंधनों को ना तोड़ पाएं तो हमारी पढाई बेकार है। कम से कम हमें अपने हिस्से का विरोध तो दर्ज करना ही चाहिए ,अपने हिस्से की लड़ाई तो लड़नी ही चाहिए। अंजुरी भी उसकी बात से सहमत थी उसे भी यही लग रहा था कि जब वे दोनों एक दूसरे को इतना चाहते हैं तो एक दूसरे के साथ ज़िन्दगी क्यों बसर नहीं कर सकते। उसने भी सहमत होते हुए सर हिलाया। दोनों ने आज निश्चय कर लिया कि वे अपने प्यार के लिए समाज से लड़ेंगे। दोनों ही अब राहत महसूस कर रहे थे। अब चलें ? अंजुरी ने पूछा "चलो " कमल भी उठ खड़ा हुआ ,इस बार अंजुरी स्वयं उसकी बाहों में सिमट गई "अगले ही पल अलग होते हुए तेजी से सीढ़ियां उतरने लगी और साथ में कमल भी। 
वह बोली मैं चली जाउंगी ,तुम यहीं से लौट जाओ "कमल ने हाँ कहा और वे नीचे आकर अलग अलग दिशों में चल दिए। ---क्रमशः ---

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