हलाहल------
डस्टबीन में फेंक दें खाना,
पर नौकर को नहीं खिलाना,
टुकड़ा रोटी का,या कपडे का चिथड़ा,
चूजे सा दिल देने को कभी न माना।
नौकर चाकर और मजदूर,
हरदम खाते इनसे डांट ,
झिडकी,घुड़की,गाली लात,
यही मिले उनको सौगात।
नहीं दिखाई देती दुनिया,
शीशों वाली कार के अन्दर,
खाने को है पिज़्ज़ा बर्गर,
और मस्ती है बार के अन्दर।---निरंतर कंटिन्यू
डस्टबीन में फेंक दें खाना,
पर नौकर को नहीं खिलाना,
टुकड़ा रोटी का,या कपडे का चिथड़ा,
चूजे सा दिल देने को कभी न माना।
नौकर चाकर और मजदूर,
हरदम खाते इनसे डांट ,
झिडकी,घुड़की,गाली लात,
यही मिले उनको सौगात।
नहीं दिखाई देती दुनिया,
शीशों वाली कार के अन्दर,
खाने को है पिज़्ज़ा बर्गर,
और मस्ती है बार के अन्दर।---निरंतर कंटिन्यू
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