बहुत दिनों से मन में साध थी मथुरा वृंदावन एवं गोवर्धन परिक्रमा करने की । कई वर्षों पहले 1982 में जब संकल्प छोटा था तब , एक अवसर मिला था किसी के साथ टुरिस्ट बस में आगरा फ़तेहपुर
सीकरी जाने का अवसर मिला था । उस समय बस कोई दस मिनिट के लिए मथुरा में रुकी थी और एक छोटा सा मंदिर जिसमें छोटा सा कृष्ण जन्म का काराग्रह देखा था । अब चूँकि दिल्ली छूट रही थी दिल्ली के आसपास के दर्शनीय तथा धार्मिक स्थल पुनः देख लेना परम कर्तव्य लगने लगा था ।
हमने यह सोच कर कि भिन्न भिन्न स्थानों पर जाना है अतः door to door taxi ही सही होगी । सुबीर और नीलांजना प्रायः जिस मार्ग पर मोर्निंग वॉक करते थे एक टैक्सी वाले से बात हुआ करती थी , बाद में भी कई बार उससे फ़ोन पर बात हुई किंतु प्रत्यक्षतः उसके साथ कहीं गए नही अतः उसी को फ़ोन करके बुक कर लिया गया । यह श्राद्ध पक्ष चल रहा था और सुबीर तथा नीलांजना को आशा थी कि भीड़ नही मिलेगी , सुबीर ने जान बूझ कर बुध और बृहस्पति का दिन चुना जो सप्ताह का मध्य भाग था ।
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