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शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023

Dharawahik Upanyas !! Anpekshit ! ( 654)

 उस स्थान पर प्रवेश करने से पहले रासबिहारी ने नीलांजना और सुबीर से फूलों का हार ख़रीदने को कहा । सुबीर बे गुलाब का एक हार ख़रीदा ।भीतर प्रवेश करते ही भगवान शंकर का शिवलिंग था , इसे नंदिश्वर कहा जाता था । रास बिहारी ने नीलांजना से कहा कि हार अंदर बलराम जी की मूर्ति के लिए है , उसके नीचे जो पुष्प है उन्हें वह अपने माता पिता और सुबीर के माता पिता को स्मरण कर शिवलिंग पर चढ़ा दे । नीलांजना ने जैसे ही अपने माता पिता का स्मरण किया उसकी आँखे अश्रु पूरित हो उठीं , रास बिहारी ने कहा था कि चूँकि अभी श्राद्ध पक्ष है आपके माता पिता भी आपके साथ I.S. तीर्थ यात्रा में हैं । नीलांजना ने Google सर्च में भी पढ़ा था कि श्राद्ध पक्ष में निकट के तीर्थ करने चाहिए किंतु सुदूर यात्रा नही करनी चाहिए उससे पितरवर्ग भ्रमित ही जाता है ।

एक अन्य बात भी जो महत्वपूर्ण थी वह यह थी कि नंद बाबा बोले कि सभी बेटे अपने माता पिता को चारों धाम की यात्रा करवाते हैं अब तुम भी करवाओ । कृष्ण ने मथुरा का राजपाट बलराम जी को सौंप दिया था तथा स्वयं गुजरात के समुद्र तट पर अपनी राजधानी द्वारका बसाई थी , इसीलिए उन्हें 

द्वारकाधीश भी कहा जाता है । अब माता पिता ने जब तीर्थ यात्रा करवाने की बात कही तो वे असमंजस्य में पड़ गए , उन्होंने विश्वकर्मा जी को कहा कि यहीं चारों धाम की व्यवस्था करवा दें । तब गोकुल के उस मंदिर में 84 स्तम्भों का निर्माण किया जिनकी परिक्रमा ही चार धाम की यात्रा मान जाती है । यहाँ अलग से बने चार स्तम्भ चार युगों के प्रतीक हैं । सतयुग के स्तम्भ पर त्रिशूल , त्रेता के स्तम्भ पर धनुष , द्वापर के स्तम्भ पर सुदर्शन चक्र तथा चौथा स्तम्भ रिक्त है , कहा जाता है। कि यह कलियुग का प्रतीक है तथा जब समय आएगा इसका प्रतीक अपने आप इस स्तम्भ पर उमड़ आएगा । इन चार स्तम्भों की परिक्रमा करने को रासबिहारी ने कहा तथा , सुबीर और नीलांजना ने कर ली । चूँकि सुबीर और नीलांजना को फ़र्श पर बैठने में कष्ट होता था अतः रास बिहारी दो प्लास्टिक वाली कुर्सियाँ भी ले आया । वहाँ एक ग्रूप पहले से बैठा हुआ था जिसका गाइड उन्हें वही तीन अटकों वाली कथा सुना रहा था , साथ ही यह भी कि अंदर जाकर बलराम जी के दर्शन करना है तथा जितना सम्भव हो दक्षिणा देनी है । यहाँ सुबीर और नीलांजना के दिमाग़ में खटका हुआ । अभी तक दोनो को यह अनुभव हो चुका था कि रासबिहारी ने उनकी यात्रा की प्लानिंग हाइजैक कर के उसकी रास अपने हाथ में ले ली थी । वह भी यही बातें उन्हें बताता आया था जो वह दूसरा और तीसरा एजेंट अपने अपने ग्रूप को समझा रहा था ।

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