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शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023

Dharawahik Upanyas!! Anpekshit !!(660)

 मंदिर से निकल कर वे लोग शीघ्रातिशीघ्र प्रेम मंदिर पहुँचना चाहते थे । उन्होंने बेटरी रिक्शॉ किया , किंतु पुलिसकर्मी इन रिक्शॉ को मुख्य मार्ग से जाने नही दे रही थी अतः वह सभी घरेलू बस्तियों से हो कर गुजर रहा था । जितना समय लगना था उसका तिगुना समय लगा और फिर भी उसकी बेटरी लो होने के कारण उसने प्रेम मंदिर के पिछले हिस्से में सभी सवारियों को उतार दिया । काफ़ी लम्बी पद यात्रा करके थके हुए प्रेम मंदिर पहुँचे । उसे देख कर मन प्रसन्न हो गया । रातए भिन्न रंगों की रोशनी में थोड़ी थोड़ी देर बाद रंग बिरंगा यह मंदिर वास्तव में सुंदर था । इसे लोग जो ताजमहल से सुंदर कहते हैं वह ग़लत नही । यहाँ गोवर्धन उठाए कृष्ण भी थे और पर्वत के नीचे ब्रजवासी भी थे ऊपर इंद्र की मूसलाधार वर्षा भी थी । सभी रंगीन रोशनियों से भरा हुआ था , गायें थीं ग़्वाले थे हिरन थे । गोपियाँ थीं और रास लीला थी । उनंतिकिपटेड यमुना में बालक कृष्ण को ले जाते हुए वासुदेव थे । सभी कुछ मन मोहक था । अंदर वे लोग नही गए । सुबीर और नीलांजना थक चुके थे । बाहर आकर उन्होंने एक होटेल में खाना खाया । वे सादा भोजन ही करना चाहते थे अतः थाली वाला भोजन ही किया । भोजन के पश्चात भी अपने होटेल तक जाना एक लम्बी दूरी थी एक साइकल रिक्शॉ वाले की रिक्शॉ 60 रुपए में जाने को तैयार हुआ । उसका पोता पीछे से दौड़ दौड़ कर धकेल रहा था । बाद में एक बेटरी रिक्शॉ ने इस साइकल रिक्शॉ को स्पीड दे दी । सुबीर ने रिक्शॉ वाले के पोते को अलग से दस रुपए दे दिए । सुबीर नीलांजना ने सुबह के  नाश्ते के लिए बिस्कुट ले लिए और अपने कमरे में लौट आए । दोनो थक कर चूर थे शीघ्र ही सो गए । 

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