वे लोग दर्शन कर के नीचे लौट आए , अजय नामक उस लड़के ने ड्राइवर को फ़ोन किया कि इधर ही आ जाइये ।जब टैक्सी सामने पहुँची लगभग उसी समय एक सुदर्शन सा युवक प्रकट हुआ , गोरा लम्बा ऑफ़ वाइट शर्ट एवं श्वेत पैंट पहने , वह आँखों पर काला चश्मा पहने था ।विजय ने उसकी ओर संकेत करते हुए कहा कि ये आपको गोकुल ले जाएगा आप इसे ही सौ रुपए दे दीजिएगा । वह ड्राइवर के बग़ल की सीट पर बैठ गया । सुबीर ने उससे उसका नाम पूछा “ उसने कहा मेरा नाम रास बिहारी पाठक है “तुरंत ही सुबीर ने उससे पूछा कि तुम लोगों की टीम है क्या ? उसने विनम्रतापूर्वक कहा “जी हम सात लोगों की टीम है , पहले हमारे पिता किया करते थे यह काम अब हम करते हैं “उसने ज्ञान देना आरम्भ किया “ कृष्ण का जन्म कंस के कारावास में हुआ था और आपने जो कमरा कारावास का अभी देखा उसके पीछे ही यमुना का पाट है , वासुदेव जब टोकरी में कृष्ण को रख कर गोकुल जाने को निकले जो यमुना के पार बसा है , वहाँ के नंद बाबा , वासुदेव के परम मित्र थे तथा उनके यहाँ भी संतान का जन्म उसी समय हुआ था । जैसे ही नंद बाबा ने यमुना में चलना प्रारम्भ किया लहरें ऊँची उठती गईं, यमुना कृष्ण के चरण स्पर्श करना चाह रही थीं , कृष्ण तो अंतर्यामी थे , उन्होंने पैर टोकरी के बाहर निकाल दिए और यमुना उन्हें स्पर्श करके नीचे उतरने लगी वासुदेव का मार्ग प्रशस्त करने लगी , यमुना को कृष्ण की पहली पत्नी माना जाता है । यह बात नीलांजना के लिए भी नई थी यद्यपि उसने बाल्यकाल में गीता प्रेस गोरखपुर की अधिकांश धार्मिक पुस्तकें पढ़ीं थीं ।
मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts
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