वे लोग घर से स्नान पूजा कर के ही आए थे । नीलांजना के परिवार में पिता पूजा पाठ मंत्रोच्चार किया करते थे तथा नीलांजना के सभी चाचा और ताऊ , बुआ इत्यादि के परिवारों में पूजा पाठ का अत्यधिक महत्व रहा । नीलांजना भी बचपन से माता पिता के साथ मंत्रोच्चार करती रही थी और युवा होने पर यह दैनिक दिनचर्या बन गई थी कि स्नान और पूजा के बिना अन्न ग्रहण नही करती थी तो कोरोना के आने के पूर्व सहज ही सुबीर से जपमाला ख़रीद लाने को कहा और वह महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने लगी । बस उसे साध थी कि वह स्वयं ही महांकालेश्वर की परिक्रमा करते हुए एक माला महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करे और उज्जैन आने का भी यही कारण था । यह रविवार का दिन था और दिवाली के पहले का समय अतः भीड़ बिल्कुल नही थी ।उन्होंने वस्त्र चेंज किए और प्रसाद लेकर मंदिर की ओर चल पड़े । जहाँ ( महांकालेश्वर की ओर का प्रवेश द्वार ) लिखा था वहीं से सुबीर ने नीलांजना को उसकी जपमाला थमा दी और नीलांजना पूर्ण श्रद्धा के साथ जाप करती हुई अन्य लोगों के साथ आगे बढ़ने लगी सुबीर उसके पीछे ही चल रहे थे । कई लोग नीलांजना को देख भी रहे थे । गार्ड लोगों की दृष्टि बस मोबाईल से फ़िल्म बनाने वालों पर थी और छीना झपटी के प्रयास हो रहे थे । जैसे ही वे महांकाल के मुख्य दर्शन वाले स्थान पर पहुँचे , एक पुजारी ने नीलांजना के हाथ में माला देख जाप करते देख पूछ ही लिया “ महामृत्युंजय पूजा करवानी है क्या ? नीलांजना ने आँखों के इशारे से उसे मना किया और आगे बढ गई । कुछ समय पहले ही उसे ज्ञात हुआ था कि इस पूजा पर पचास हज़ार का खर्च आता है । नीलांजना ने बाहर निकलते हुए पाँच माला ॐ नमः शिवाय की भी कर लीं ।बाहर प्रसाद काउंटर से सुबीर ने प्रसाद का डिब्बा ख़रीदा और वे होटेल के कमरे में आने को उद्यत हुए । नीलांजना को याद आया क़ि उसने YouTube पर मंदिर की ओर से प्रसाद ( भोजन ) के बारे में देखा था , उन्होंने बाहर एक व्यक्ति से पूछा , उसने भी कहा कि बड़े गणेश मंदिर में पर्ची कटती है , दोनो वहाँ गए किंतु वहाँ ऐसा कुछ नही था , कुछ और लोगों ने इधर उधर दौड़ाया किंतु उन्हें बाद में पता चला कि दर्शन करके बाहर निकलने से पहले ही पर्ची कटती है तथा भीतर ही प्रसाद की व्यवस्था है । अब वे पूरी तरह थक चुके थे सामने दिखे एक रेस्तराँ में प्रवेश कर गए और दो थाली का ऑर्डर किया । भोजन के पश्चात वे होटेल पहुँचे । कपड़े बदल कर नीलांजना बेड पर लेटते ही गहरी निद्रा में सो गई । सुबीर बैठ कर फ़ोन देखते रहे ।
मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts
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