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गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

Late Shri Purushottam Govind Perlekar's Sankalan !! {248}

स्मृति व विस्मृति मानव को ईश्वर द्वारा दी गयी दो शक्तियां हैं दोनों के अपने अपने गुण दोष हैं सच्चा विवेकी वही है जो समयानुकूल उनका उपयोग कर सके !
सत्य या असत्य की पूर्ण खोज करने के पूर्व किसी पर कीचड मत उछालो हो सकता है तुम्हारा निशाना चूक जाए व उस दशा में वही कीचड तुम्हारे मुंह पर गिरे अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो भी हाथ तो तुम्हारे गंदे हो ही जाएंगे —महात्मा गांधी
सांप निकल जाने पर लकीर पीटना बुद्धिमानी नहीं है
ईश्वर पर पूर्ण विश्वास हो जाने पर आपके अपकारी को दण्डित करने कि भावना भी मन से निकल जाती है
सांसारिक न्याय केवल न्याय है पर ईश्वर के यहाँ न्याय के साथ दया भी है
कठिनाइयां आने पर उनका सामना करना इतना कठिन नहीं है जितना कि उनके आगमन से पूर्व ही उनके काल्पनिक भूत का सामना करना
प्रतिहिंसा व क्षमा दोनों सगी बहनें हैं। प्रतिहिंसा का बेटा अविश्वास व क्षमा का बेटा विवेक है जब मानव मन में प्रतिहिंसा जागती है तो क्षमा व विवेक उससे दूर चले जाते हैं और केवल अविश्वास रह जाता है।
विश्वास से पहाड़ भी हिल सकते हैं —-अज्ञात
किसी भी क्रिया का करना सरल व रोकना कठिन है उसी प्रकार विचार करना सरल व उसे रोकना कठिन है।
भगवन के प्रति पूर्ण समर्पण होने पर बुद्धि निश्चयात्मक होती है व मन की डांवाडोल स्थिति का लोप हो जाता है


दुर्भाग्य के आंधी तूफ़ान के सामने झुक जाने से वह आसानी से निकल जाएगा अगर तन कर खड़े रहोगे तो स्वयं का नुकसान करोगे।

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